भिकियासैण (अल्मोडा़) जहाँ एक और गांव से शहरी क्षेत्र में लोग पलायन कर रहे है, वही एक ओर नैनीताल के ओखलकांडा विकास खंड में स्थित एक गांव इस तरह का है,जहा सैकड़ो वर्षो से परंपरागत तरह से सुबह से लेकर शाम तक खड़ी होली और रात्रि को बैठ कर महिलाओं और पुरुषों दोनो के द्वारा मिलकर होली गायन किया जाता है , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनुषांगिक संगठन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड के प्रांत सह संयोजक डॉक्टर सुरेंद्र विक्रम सिंह पडियार ने बताया कि हमारे गांव में लोग भले ही पूरे वर्ष अपनी आजीविका के लिए बाहरी शहरों में रहते हो, परंतु होली के अवसर पर सभी लोग एकत्रित होकर होली गायन कार्यक्रम में अपनी- अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं, यहां होली बैठको में लोक गीत वाद्ययंत्र ढोलक, हारमोनियम, ढोल आदि के साथ गाया जाता है,साथ ही उन्होंने बताया कि नरतोल में अधिकांश होली सभी धार्मिक महाकाव्यों रामायण महाभारत और राधा कृष्णा से संबंधित पुराणों पर आधारित कहानियों को बयां करती है। होली गायन में मुन्ना पडियार, मनोज पडियार, खुशाल सिंह ,त्रिभुवन सिंह, भोपाल सिंह ,धीरज सिंह , प्रमोद सिंह , नेकपाल सिंह पडियार, राजेंद्र चौहान, पान सिंह, गंगा सिंह, पंकज पडियार, हरीश चंद्र सिंह पडियार आदि लोग ने होली गायन किया गया। नेकपाल सिंह पडियार के नेतृत्व में खड़ी होली में कुछ इस तरह की बोल में “हरी धरे मुकुट खेले होरी, जय बोले यसोधा नंदन की, गड़ लंका गड़ कैसे बनी है, आदि होली का गायन किया गया,जिसमें होल्यार ढोल की धुन में खूब थिरके, एक दूसरे को अबीर, गुलाल रंग लगाते रहे। यहां प्रत्येक घर में कम से दो होली गायन की परंपरा है, जिसका हिस्सा छोटे बच्चो, महिलाओ के साथ साथ बड़े बुजुर्ग भी बढ चढ़कर हिस्सा लेते है,और पूरे दिन होली में मस्त रहते हैं।
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