संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रतिवाद आह्वान पर किसान मोर्चा ने दिया 16 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन तहसील मुख्यालय भिकियासैण में।
भिकियासैण (अल्मोड़ा) संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रतिवाद आह्वान पर अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में तहसील भिकियासैंण मुख्यालय में किसानों की 16 सूत्रीय मांगों को लेकर मा. प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार भिकियासैंण निशा रानी के माध्यम से भेजा गया। इस दौरान अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि डेढ़ साल पहले दिल्ली में चले किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था, कि हम किसानों की मांगों पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने पर भी किसानों की मांगें जस की तस है। किसानों से किये गए वायदों को पूरा करने के बजाय किसानों को जल, जंगल तथा उनकी जमीन से बेदखल कर कारपोरेट के हवाले करने की नीतियो पर सरकार चल रही है।
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की मुख्य मांग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू कर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद की गारन्टी कानून बनाने व संपूर्ण कर्ज माफ़ी की थी। जिस पर सरकार एक इंच भी आगे नही बढ़ी है। कृषि में बढती लागत और फसलों की गैर लाभकारी कीमतों के कारण भारत में 80प्रतिशत से अधिक किसान भारी कर्ज में डूबे हुए हैं,और आत्म हत्या करने को मजबूर हैं। मोदी सरकार विद्युत संशोधन विधेयक 2022 को फिर से ला रही है, जिससे किसान, आम आदमी, बिजली कर्मचारी प्रभावित होंगे, क्योंकि यह कानून बिजली का निजीकरण करने का एक जरिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी केन्द्र के नक्शे-कदम पर चल रही है ।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से लगातार बढ़ते जा रहे पलायन को रोकने के लिए अधिकार सम्पन्न अनिवार्य चकबंदी की जाय और उत्तराखंड की पुस्तैनी आय और कृषि का साधन रहा गोवंश पर लगाये गये गोवंश संरक्षण कानून को सरकार को तुरंत निरस्त करना चाहिए या गोवंश की सरकारी खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए। ज्ञापन में पंजाब, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना की तरह ही उत्तराखंड के किसानो को भी मुफ्त बिजली दिये जाने की मांग की है। लखीमपुर खीरी जिले में चार किसानों व एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर कार्यवाही की जाए, मृतक व घायलो को मुआवजा दिया जाए और किसानो पर से फर्जी मुकदमे वापिस लिए जाए। गन्ना किसानो के लिए 500 रुपए प्रति कुंतल तय किया जाए और नियमित खरीद व भुगतान की गारंटी हो ।
ज्ञापन में सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, फसल सम्बन्धी बीमारियों से नुकसान के लिये ब्यापक और प्रभावी फसल बीमा योजना लागू करने, बाढ़- भूस्खलन से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने, सभी मध्यम-छोटे किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए 10,000/₹ प्रतिमाह किसान पैंन्शन योजना लागू करने, किसान आन्दोलन के दौरान शहीद किसानो के परिजनो को मुआवजा व शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन आवंटित करने, स्मार्ट सीटी- आल वैदर रोड़-बड़े बांध निर्माण जैसी जन विरोधी व कॉर्पोरेट पक्षधर योजनाओं पर रोक लगाने, अतिक्रमण के नाम पर पीढियों से वन भूमि, बांध- सिचाई, ग्राम समाज व अन्य भूमि से लोगों को उजाड़ने की नीति पर रोक लगाने भूमि, उत्तराखंड में वर्ग एक व वर्ग चार के पट्टे की भूमि पर उत्तराखंड सरकार के शासनादेश के तहत हजारों किसानों की जमा लम्बित पत्रावलियों का निस्तारण शीघ्र करने सहित कई मांगे उठाई। ज्ञापन देने वालों में आनन्द सिंह नेगी, श्याम सिंह, एडवोकेट मोहन कोली, मनोहर बिष्ट, त्रिलोचन करगेती आदि मौजूद रहे ।