आजादी के 76 वर्षों के बाद भी स्याल्दे बाजार आज भी अपनी विकास की राह टोह रहा है।
भिकियासैण/स्याल्दे। विकास की आस फिर भी निराश, ऐसा ही एक कस्बा है, अल्मोड़ा जिला का सीमान्त विकासखण्ड स्याल्दे जिसे चौकोट के नाम से भी जाना जाता है। अपने आप में एक एतिहासिक नाम भी जुड़ा है, जिसे स्याल्दे चौकोट घाटी भी कहा जाता है। कभी इसी घाटी में जन्मे स्वतंत्रता के सिपाही स्व. ज्योति राम काण्पाल व बद्रीदत्त काण्डपाल ग्राम सभा पैठाना व ग्राम सभा तिमली के अल्मोड़ा ससंदीय क्षेत्र से सासंद स्व. जंग बहादूर सिंह बिष्ट व विधायक स्व. जसवन्त सिंह बिष्ट जैसे महापुरुष है।
तहसील स्याल्दे बाजार के व्यापार संघ अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता दर्शन जोशी ने बताया कि आज इस चौकोट घाटी में जन्मे महापुरुषों की जन्म स्थलियाँ आज भी विकास कि राह देख रहा है। आजादी के 76 वर्ष में भी विकास कार्य नही होने के कारण आज भी यह क्षेत्र पिछड़ा है, स्याल्दे के चारों ओर पहाड़ व विशाल मैदानी क्षेत्र विनोद नदी के तट पर यह बसा है। मैदानी क्षेत्र में यहाँ के उद्यमी किसान खेती पर निर्भर है, परन्तु कुछ साल पहले से जंगली जानवरो व आवारा जानवरो द्वारा फसल को नुकसान किया जाता है, जिस कारण यहाँ के किसानो मे दिन प्रतिदिन निराशा हो रही है, कि कोई तो इनको जानवरो द्वारा हुए नुकसान से बचाये। उन्होने कहा कि कई बार जानवर बाजार में चले आते है, जिससे कई राहगिर व छोटे बाहन चालक इनके हमलो से घायल हो गये है व कई बार यहां के महिला समुहो व मंगल दलों द्वारा फसल बचाव के लिए प्रशाशन को गुहार लगा चुकीं है, लेकिन कोई असर नही हुआ। आज क्षेत्र के विधायक महेश जीना द्वारा फसल बचाओ अभियान में महिला मंगलदल व समूहों को तार बाड़ के लिए हरसम्भव प्रयास करने की बात कह रहे है, जिससे कि क्षेत्रीय किसानो की फसल सुरक्षित रह सके।
यही हाल यहाँ पर सड़क व पानी का है, जो की आने जाने वाले राहगिरों के लिए एक समस्या पैदा करता है। परिवार ज्यादा होने के कारण पीने का पानी प्रयाप्त नही हो पा रहा है। वही सडकों का है, जिसमें रोड पर डामर उखड़ चुका है, बरसात में स्याल्दे बाजार तालाब बन जाता है, जिसका मुख्य कारण वाजार में पूर्णतया नालियाँ नही बनी है, जिससे पानी सड़क पर तालाब का रुप धारण करता है। वहीं मुख्य मोटर मार्ग तारानगर से चम्पानगर व स्याल्दे तिराहे तक रोड में गड्डे हो चुके है, दुर्घटना कभी भी हो सकती है, जिन्हे मिट्टी से ढका गया हैं। क्षेत्र कि जनता पूछती है कि कब होगा स्याल्दे का विकास कार्य? करोड़ों के लागत से बना खटलगाँव खेल मैदान जहाँ पर ब्लाक स्तरीय रैलियां व स्कूलों कि रैलीयो से लेकर राजनीतिक रैलीयां भी इसी खेल मैदान में होती है, जो कि हर साल आपदा की भेट चढ़ता जा रहा है। पहले जहां तटबन्ध बने थे, वह नदी के तेज बहाव में कट चुके है। इसी अनदेखी के कारण हेक्टियरों के हिसाब से भू कटाव हो चुका है, क्या इसे बचाया नही जा सकता? इन समस्याओं को लेकर पहले भी व्यापार मंडल स्याल्दे कई बार पहल कर चुका है, लेकिन वही ढाक के तीन पात।
आज स्याल्दे बाजार सहित क्षेत्र उमीदों का सपना बनकर रह गया है। स्याल्दे विकास का मुख्यालय कहा जाने बाला है, जहाँ पर विकास खण्ड कार्यालय, तहसील, खण्ड शिक्षा कार्यालय, डिग्री कॉलेज सहित चौदह से ज्यादा सरकारी दफ्तर है, फिर भी कोई सार्वजनिक शौचालय तक नही है। दूरवर्ती गॉव से अपने कार्य के लिए क्षेत्रीय लोग कई किमी. पैदल चल कर यहां आते हैं, लेकिन अफसोस है कि लघु शंका इत्यादी के लिए उन्हे खुले में या नदी किनारे जाना पड़ता है, जिससे विनोद नदी दूषित रहती है, जब की इसी नदी से देघाट व स्याल्दे तक के सभी गाँव घरो को पानी जाता है। साथ ही तिमली-चचरोटी पेयजल योजना भी इसी नदी से सम्बन्ध है। व्यापार संघ अध्यक्ष दर्शन जोशी ने टूक शब्दो मे कहा कि यदि इस समस्या का निदान नही होता तो बाजार सहित कई गाँव गम्भीर विमारी की चपेट में आ जायेंगे, इसलिए प्रशासन किसी भी प्रकार की समय रहते अनदेखी न करे। यही हाल स्कूलों का है, जहां बच्चे तो है, लेकिन विषय अध्यापक पर्याप्त मानक में नहीं है।
उन्होने स्याल्दे बाजार में एक हायटैक शौचालय बनवाने, जगह-जगह कूड़ेदान लगाने, व विनोद नदी को स्वच्छ रखने की प्रशासन से मांग की है, और उन्होने यह भी कहा कहा है कि बाजार मे लोगों ने किरायेदार रखे है, लेकिन उन्हे शौचालय नही दिये है, जिससे वे नदी किनारे जाकर नदी को दूषित करते है। यही नही उन्होने यह भी कहा कि आज स्याल्दे बाजार का विकास न होने से अधिकाशं लोग पलायन की ओर है। समय रहते बाजार का विकास नही होगा तो वे कभी भी विभागीय अधिकारियों के खिलाफ लामबन्द हो जायगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।