देघाट में कल (आज) आयोजित होगा शहीद दिवस।
भिकियासैण/स्याल्दे। अगस्त 1942 में गांधी जी के द्वारा अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान देघाट में शहीद हुए हरिकृष्ण उप्रैती व हीरामणि बड़ौला को श्रद्धांजलि दी जाएगी। महात्मा गांधी जी के1942 में साइमन गो बैक अंग्रेजो भारत छोड़ो के आह्वान आंन्दोलन की आग पूरे देश में आग की तरह फैली, उसी का असर था कि देश के कोने-कोने में अंग्रेजों के खिलाफ खिलाफत होने लगी विरोध प्रदर्शन शुरु होने लगे। उसी आंन्दोलन से प्रेरित होकर देघाट क्षेत्र के क्रांतिकारी आन्दोलनकारियों ने देघाट क्षेत्र में भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए बैठके करनी शुरु कर दी।

17अगस्त को देघाट में पटवारी चौकी का घेराव किया गया, जहां सैकड़ों की संख्या में आंन्दोलनकारी जुटे और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। इसकी सूचना परगना मजिस्ट्रेट रानीखेत जानसन को मिली तो वह स्वंय दलबल के सांथ अगले दिन देघाट पहुंचा, अपने साथियों को छुड़ाने के लिए 19अगस्त 1942 को बड़ी संख्या में आंन्दोलनकारी देघाट में एकत्रित हो गये, तथा चौकी को घेर लिया भीड़ को तितर बितर करने के लिए अंग्रेजों की पुलिस ने हवाई फायरिंग कर दी, जिसमें भेली निवासी हरिकृष्ण उप्रैती व खल्डुवा निवासी हीरामणि बड़ौला गोली के शिकार हो गये। उन्हीं की शहादत की याद में प्रतिवर्ष देघाट में 19 अगस्त को शहीद दिवस का आयोजन किया जाता है, जहां सभी क्षेत्रवासी प्रतिनिधि श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचते हैं। उनकी याद में देघाट मे एक शहीद स्मारक का निर्माण किया गया है, जहां 19 अगस्त को बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। शहीद दिवस को भव्य बनाने में क्षेत्र के लोग रात दिन लगे है।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण



















