मथुरावासी सोनिया ने गोबर की राखियाँ बना कर काम करने व सीखने की लगन से भिकियासैण में सीखने वालों को किया मगन।

भिकियासैंण (अल्मोड़ा) उत्तराखण्ड में बन रही है, अनोखी राखियाँ, जो गाय के गोबर से बन कर आकर्षक फूलवाली राखियाँ तैयार हो रही है। अल्मोड़ा के नगर पंचायत भिकियासैंण में दो लोगो की अनोखी पहल दामोदर असनोड़ा के पुत्र लक्की असनोड़ा व मथुरा निवासी डॉ. अशोक शर्मा की पुत्री सोनिया शर्मा ने गाय के गोबर से राखियाँ बना रहे है।

सोनिया व लक्की द्वारा गाय के गोबर पर कई प्रयोग किये गए, जिसमें एक साल की कड़ी मेहनत से उन्होंने सत्यसात्विक कंपनी की शुरुआत की, जहाँ न सिर्फ गाय के गोबर से बनी वस्तुएं मिलती है, बल्कि नयी पीढ़ी के युवा-युवतियां को भी निःशुल्क ट्रेनिंग और आर्ट क्राफ्ट की क्लासेस दी जाती है। सत्यसात्विक कम्पनी में गाय के गोबर से बनी धूपबत्ती से लेकर दियें, साबुन, मूर्तिया, घर सजावट के आईटम्स के साथ ही यहाँ तक की राखियाँ भी बनायी जाती है। सत्यसात्विक सस्था की संस्थापक सोनिया शर्मा ने बताया कि यह राखियाँ गोबर और बीज से निर्मित है, जो की एक दम जीरो वैस्ट हैं। उन्होंने बताया कि सत्यसात्विक संस्था ने अभी तक 8 युवतिओं को रोजगार दे चुकी है, जो की अलग-अलग ग्राम सभाओं से यहां सीखने आती है, जिसमें भावना रावत पुत्री सुरेंद्र सिंह रावत, लक्ष्मी मावड़ी पुत्री कुशल सिंह मावड़ी, तनुजा गोस्वामी पुत्री बालम नाथ गोस्वामी, रंजना पुत्री भीम राम, पाखी टम्टा पुत्री ललित प्रसाद टम्टा, आशा पुत्री राजेंद्र प्रसाद, दीपाली, पुष्पा, वैशाली, श्रृष्टि है।

इन सभी प्रशिक्षार्णथियों का कहना है कि वे भविष्य में आने वाले समय में अपना टार्गेट बनाकर 1000 लोगों को रोजगार देने का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि इन दिनों गोबर से निर्मित वस्तुओ की बाहर बहुत डिमांड हो रही है, पिछले साल गणेश जी की मूर्ति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भेंट की गयी थी। इस साल सत्यसात्विक ने सुंदर-सुंदर गोमय राखियाँ बनाई है, जिनका मूल्य मात्र 15 से 25 रुपया है, और इतना ही नही यह पर्यावरण के अनुकूल भी है, जिनमें उन्होंने फूलों के बीज डाले हुए हैं, जो प्रयोग करने के बाद गमलों में डाला जाएँ तो फूल उगेंगे।

इन राखियाँ को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। इनके कई जगह से ऑर्डर भी बुक हो रहे है, जिसमें पानीपत, आगरा, लखनऊ, बॉम्बे, दिल्ली, देहरादून है। सत्यसात्विक न केवल युवा पीढ़ी के लिए कार्य कर रही है, अपितु वह उत्तराखण्ड की विलुप्त होती जा रही ऐपण कला के लिए भी कार्य कर रही है। अभी तक यह कई गाँवो में गोमय ऐपण वाल आर्ट बना चुके है, जो कि एक दम प्राकृतिक अनुकूल है। इसी के अलावा और कई मुर्तियों में पेंट कर चुके है। सत्यसात्विक की पूरे समूह की सरकार से बस यही अपील है कि वे आगे आकर ऐसे अभिनव कार्य को सराह कर सहायता करें, ताकि यह गोमय कला आगे तक पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहें,और इससे रोजगार भी पा सकें। अधिक जानकारी के लिए @satyasattvik संपर्क कर सकते है- +91 9045321003

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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