17 नवंबर के बाद विद्यालय होंगे प्रभारी प्रधानाचार्य विहीन, खंड शिक्षा अधिकारी भिकियासैंण को सौंपा ज्ञापन।
भिकियासैंण (अल्मोड़ा) राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक संवर्ग में वर्षों से पदोन्नति, वेतन विसंगति-निराकरण, अन्तरमण्डलीय स्थाननान्तरण आदि 35 सूत्रीय मांगों के लिए 2 माह से आन्दोलनरत राजकीय शिक्षक संघ ने चरणबद्ध तरीके से सरकार और विभागीय अधिकारियों के समक्ष अपनी मांगों को रखते हुए अंततोगत्वा प्रधानाचार्य विहीन विद्यालयों में प्रधानाचार्य के अतिरिक्त कार्य को छोड़ते हुए केवल शिक्षण कार्य के लिए अपनी वचनबद्धता दर्शाते हुए राज्य भर में 17 नवंबर से प्रधानाचार्य के प्रभार से मुक्त होने का पत्र अपने-अपने खण्ड शिक्षा अधिकारियों को भेज दिए हैं।
इसी क्रम में ब्लॉक भिकियासैंण के राजकीय इण्टर कॉलेज चौनलिया, विनायक इण्टर कॉलेज जमोली, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय थापला, खनोलिया, श्रीकोट, राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बासोट, भतरौंजखान के प्रभारी प्रधानाचार्यो/प्रधानध्यापिकाओं ने कार्यभार छोड़ने के विषय में खण्ड शिक्षा अधिकारी डॉ. रवि मेहता को पत्र भेज दिए हैं। 11 नवंबर से 15 नवंबर तक दीपावली अवकाश के चलते यह श्रृंखला रुकी हुई है, वरना ब्लॉक के सभी प्रभारी प्रधानाचार्य जो राजकीय शिक्षक संघ के सदस्य हैं, राजकीय शिक्षक संघ के आह्वान पर प्रभार से मुक्त होने का पत्र खण्ड शिक्षा अधिकारी को भेज देते।
गौरतलब है कि भिकियासैंण ब्लॉक में सीबीएसई से सम्बद्ध राजीव नवोदय विद्यालय और 2 अटल उत्कृष्ट विद्यालयों सहित 12 इंटरमीडिएट, 1 राजकीय कन्या इण्टर कॉलेज, 4 राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक, और 5 राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में केवल 2 पूर्णकालिक प्रधानाचार्य हैं, जबकि 20 विद्यालय बिना प्रधानाचार्यों के प्रभारियों के अथक परिश्रम से संचालित हो रहे हैं। प्रभारी प्रधानाचार्य अपने-अपने विषयों के शिक्षण कार्य के अतिरिक्त समस्त प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हैं। अनेक प्रभारी प्रधानाचार्य 20-25 वर्षों से एक ही पद पर रहते हुए पदोन्नति की वाट जोह रहे हैं, लेकिन विभाग इनकी एक भी नहीं सुन रहा है। वेतन विसंगतियों का आलम यह है कि अनेक वरिष्ठ शिक्षक अपने कनिष्ठ से न्यून वेतन प्राप्त कर रहे हैं। विभागीय मन्त्री सङ्गठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक में जिन मुद्दों पर सहमति देते हैं , बेलगाम अधिकारी मन्त्री महोदय की बात मानने को राजी नहीं हैं। इन्हीं कारणों से शिक्षकों ने छात्रहित में केवल शिक्षण कार्य करने का संकल्प लेकर अन्य दायित्वों को छोड़ने का मन बना दिया है। अब इससे 17 नवंबर के बाद प्रशासनिक रुप से अनेक दिक्कतें आती देख अधिकारियों के हाथ पैर फूलने का अंदेशा जताया जा रहा है।