असहाय वृद्धजनों व विधवाओं से राज्य सरकार स्वास्थ्य प्राधिकरण अभी भी कर रहा वसूली, चार साल में अभी तक मुठ्ठि भर लोगों को भी नहीं हुआ फायदा।

भिकियासैंण (अल्मोड़ा)। उत्तराखंड गवर्नमेंट पैंशनर संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि उत्तराखंड में आम जनता को अब न्याय मिलने की उम्मीद नहीं रही। राज्यभर में पिछले चार वर्षों से पैंशनर संघर्षरत हैं परंतु राज्य सरकार आँख मूंदकर बैठी है। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा अन्य राज्यों के पैंशनर्स को छोड़कर मौजूदा दौर में उतराखंड राज्य में 1,32813 पैंशनर हैं, जिसमें से 99,975 पैंशनरों से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर अंशदान की मासिक कटौती अभी भी जारी है, जबकि 32838 पैंशनर्स प्राधिकरण की इस बंदरबांट को देखते हुए राज्य सरकार की इस स्वास्थ्य योजना को छोड़ चुके हैं।

मा. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पिछले तीन वर्षों में अभी तक मात्र 28,707 लोगों के अंशदान की धनराशि वापस हुई है, परन्तु 4,131 लोगों से वसूली गई धनराशि पर प्राधिकरण अभी भी कुण्डली मार कर बैठा है। अभी तक मात्र 22,301 लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है, जिसमें अधिकांश नेताओं व अधिकारियों के करीबी है। 77,674 पैंशनरो को अभी तक इस योजना से एक धेले का लाभ नहीं मिला है। हैरत में डालने वाली बात यह है कि 46,322 लोगों के अभी तक गोल्डन कार्ड बने ही नहीं हैं, इन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता, जिनसे बकायदा अभी भी वसूली हो रही है। आखिर इस प्राधिकरण का कोई ग्वाला गुसाई है? भ्रष्ट नौकरशाहों व राजनेताओं ने मिलकर गुलछर्रे उड़ाने के लिए ही इस योजना को डिजाइन किया हुआ है। राज्य का महालेखाकार भी इस योजना में हुई लूट की जांच नहीं कर सकता है। उन्होंने आगे कहा अभी तक 186,9811950/- रुपये पैंशनरों से वसूली जा चुकी हैं। इतनी बड़ी धनराशि का राज्य सरकार स्वास्थ्य प्राधिकरण कर क्या रहा है? जबकि अभी तक पैंशनरो को ओपीडी की सुविधा तक मयस्सर नहीं हो पायी है। राज्य भर में सीनियर सिटीजन/पैंशनर्स संघर्षरत हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नही है। उन्होंने प्रदेशभर के सभी पैंशनर्स संगठनों से एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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