विकासखंड स्याल्दे क्षेत्र की सिंचाई नहर टूट जाने से कास्तकार हुए परेशान।
भिकियासैंण/स्याल्दे। विकासखंड स्याल्दे के देघाट क्षेत्र में जीर्ण-क्षीर्ण सिंचाई नहरे शोपीस बन कर रह गई है। विकासखंड के कई वर्षों से सिंचाई नहरें आज तक बिना पानी के सफेद हाथी की तरह शोपीस बन कर रह गई है, जबकि यहाँ क्षेत्र के किसान लगातार कई समय से सिंचाई निर्माण के लिए कहते आ रहे है, लेकिन विभाग एक ही रट लगाते है कि नहर टूट कर जीर्ण-शीर्ण हो गई है व इसके साथ ही गूल में झाड़ियां उग आई है। कास्तकारों का कहना है कि विभाग के पास इतना बजट नहीं है कि इन सभी की मरमत या सफाई की जाएं, जबकि विकासखंड कि सबसे लम्बी सिंचाई नहर पत्थर खोला से तिमली तक बनी है। इस नहर को बन्द लगभग 5 वर्ष से ज्यादा हो गए है, जबकी यह सिंचाई नहर से कई हेक्टेयर उपजाऊ भूमि सिंचित रहती थी, पर अब सब भगवान भरोसे चल रही है।

वहीं देघाट क्षेत्र की छोटी बड़ी नहरे जो आपदा कि भेंट चढ़ गई थी, वहाँ के हाल भी जस के तस है। स्थानीय कास्तकार बताते है कि जो पूर्व में अच्छी फसल की पैदावार किया करते थे, परन्तु सिंचाई विभाग की लापरवाही से आज सभी अपनी फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए मायूस हो रहे है। वहीं सुरमोली-भरसोली, कोटसारी, पालपुर सिंचाई नहर जो आपदा कि भेट चढ़ गई, जिसे कई जगह पर मरम्मत की जरुरत है। इस सम्बन्ध में जनप्रतिनियों द्वारा शासन-प्रशासन को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया है, लेकिन विभाग सोया है। विभाग के जेई अभिलाष पंत सिंचाई विभाग ने बताया कि पत्थरखोला से तिमली सिंचाई नहर 10.800 मी. की सिंचाई नहर के मरमत के लिए 20 लाख रु. आवन्टन हुआ है, जिसमें डोवरी गधेरे से कार्य आरम्भ कर दिया गया है। वहीं हिमांशु सुयाल जेई सिंचाई विभाग सुरमोली-भरसोली सिंचाई नहर का इस्टमेंट विभाग द्वारा शासन को भेजा गया है, जैसे ही बजट आवन्टन होगा कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण