आईसीएसएसआर नई दिल्ली एवं एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का भव्य शुभारंभ।
हल्द्वानी। आईसीएसएसआर नई दिल्ली एवं एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के संयुक्त तत्वावधान में “अंडरस्टैंडिंग सस्टेनेबल होमस्टे टूरिज्म एज़ ए ड्राइविंग फैक्टर ऑफ टूरिस्ट्स सैटिस्फैक्शन थ्रू स्ट्रक्चरल इक्वेशन मॉडलिंग: केस ऑफ कुमाऊं रीजन ऑफ उत्तराखंड” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का विधिवत उद्घाटन हुआ।
सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर अंजू अग्रवाल निदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड, प्रो. एन. एस. बनकोटी प्राचार्य एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी, डॉ. बी. सी.मलकानी पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड और डॉ. भगवती वर्मा पूर्व उपनिदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने दीप प्रज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि प्रो. अंजू अग्रवाल निदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने कहा कि सस्टेनेबल होमस्टे टूरिज्म आज के समय की आवश्यकता है। यह पर्यटन मॉडल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और आर्थिक विकास का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में होमस्टे पर्यटन की व्यापक संभावनाएं हैं। यदि इसे सही दिशा में बढ़ावा दिया जाएं तो यह स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ पलायन की समस्या को भी कम कर सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सस्टेनेबल पर्यटन में पर्यटकों की संतुष्टि के साथ-साथ स्थानीय संसाधनों का संतुलित उपयोग जरुरी है। नीति निर्माण में स्थानीय समुदाय की भागीदारी से ही इस पर्यटन मॉडल की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने शोधार्थियों और विशेषज्ञों से अपील करी कि वे इस क्षेत्र में गहन शोध कर नीतिगत सुझाव दें, जिससे कुमाऊं क्षेत्र में होमस्टे पर्यटन को एक सस्टेनेबल मॉडल के रुप में विकसित किया जा सकें।
सेमिनार में जर्मनी से जुड़े मुख्य वक्ता डॉ. रियान हबीब वरिष्ठ डाटा वैज्ञानिक ने अपने संबोधन में सस्टेनेबल होमस्टे पर्यटन के महत्व और इसके माध्यम से पर्यटकों की संतुष्टि में संरचनात्मक समीकरण मॉडलिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला। सस्टेनेबल होमस्टे पर्यटन के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह न केवल स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाता है, बल्कि पर्यटकों की संतुष्टि और उनके यात्रा अनुभव को भी समृद्ध करता है। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे होमस्टे मॉडल, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है।
इस अवसर पर प्रोफेसर कमरुद्दीन और डॉ. उर्वशी पांडे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने सस्टेनेबल पर्यटन को पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के संतुलन के लिए आवश्यक बताया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रभा पन्त ने किया तथा प्रोफेसर प्रभा पंत की पुस्तक “उत्तराखंड का लोकसाहित्य” का लोकार्पण किया गया। दो दिवसीय सेमिनार में पहले दिन 2 ऑफलाइन और 1 ऑनलाइन सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विभिन्न शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
इस सेमिनार का उद्देश्य कुमाऊं क्षेत्र में सस्टेनेबल होमस्टे पर्यटन को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से स्थानीय समुदायों के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। इस अवसर पर प्रोफेसर एम. पी. सिंह, प्रोफेसर नीलोफर अख़्तर, प्रोफेसर शशांक शुक्ला, प्रोफेसर कविता बिष्ट, प्रोफेसर चारु चंद्र धौंडियाल, प्रोफेसर रेणु रान, प्रोफेसर महेश कुमार, प्रोफेसर चंद्रा खत्री, डॉ.मंजू पनेरु, डॉ. अनुराधा, डॉ. ज्योति टम्टा, डॉ. सोनी टम्टा, डॉ. अंजू बिष्ट आदि उपस्थित रहे।