राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में समारोह पूर्वक हुआ महिला दिवस का आयोजन।
भवाली/रामगढ़। राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को समारोह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मंजू द्विवेदी रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर नगेंद्र द्विवेदी ने की। कार्यक्रम की मुख्य संयोजिक डॉ. माया शुक्ला एवं संयोजक डॉ. हरीश चंद्र जोशी रहे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में प्राध्यापक हरेश राम ने सहभागिता निभाई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निर्मला रावत ने किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं प्राचार्य महोदय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रोफेसर नगेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति के अनुरुप महिलाओं का मान सम्मान करना चाहिए। हमारे संस्कारों में संस्कृति में महिलाओं को देवियों का दर्जा दिया गया है और इसी अनुरुप हमें अपना आचरण और व्यवहार बनाए रखना चाहिए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मंजू द्विवेदी ने कहा कि महिला दिवस औपचारिकता न रहकर इस मन से कर्म से और वचन से निभाना चाहिए। समाज में नारियों को यथोचित स्थान मिलना चाहिए और यह जिम्मेदारी सबको निभानी चाहिए। डॉ. हरेश राम ने मुख्य वक्ता के रुप में महिला दिवस के इतिहास उसके मनाने के पीछे की गाथा और महिला दिवस क्यों मनाया जाता है, इस पर उन्होंने विशेष रुप से अपनी बात रखी। डॉ. हरीश चंद्र जोशी द्वारा नारी तु नारायणी से प्रारंभ कर महिला दिवस को शक्ति पर्व बताते हुए महिलाओं की हर मांगलिक कार्य में भूमिका की बात रखी और नारी सम्मान को हृदय से करने की बात कही गई।
कु. पायल और कु. तनुजा ने कुमाऊंनी लोक नृत्य के साथ कार्यक्रम में समां बाधा। इसी कड़ी में कु. नित्या शाह और कु. तनुजा दरमवाल ने महिला सशक्तिकरण को लेकर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की और जमकर तालियां बटोरी। प्रो. माया शुक्ला ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि महिला दिवस मनाया जा रहा है, नारियों के सम्मान में तमाम बातें कहीं जा रही हैं, लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि नारियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अभी भी जो कसक और कसर बाकी है उसे पूर्ण किया जाएं। महिलाओं को कमजोर होने का एहसास कभी ना दिलाया जाएं और महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हों। घर के अंदर और घर के बाहर उन्हें इस बात का एहसास कभी ना कराया जाए कि वह महिला है और कमजोर हैं तभी सच्चे अर्थों में यह महिला दिवस सार्थक होगा। इस अवसर पर सुश्री दीप्ति, कमलेश, कुंदन गोस्वामी, प्रेम, भारती, मयंक व प्रकाश का विशेष योगदान रहा।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण



