धामी सरकार का यूसीसी असंवैधानिक, जनविरोधी, महिला विरोधी और अल्पसंख्यक द्वेषी – इंद्रेश मैखुरी।
भिकियासैंण (अल्मोड़)। भाकपा (माले) की ओर से समान नागरिक संहिता पर खुली चर्चा का आयोजन नगर पंचायत भिकियासैंण के नर सिंह विकट हॉल में किया गया। चर्चा में वक्ताओं ने कहा, भाजपा सरकार विवाह पंजीकरण का आंकड़ा बढ़ाने के लिए शिक्षक कर्मचारियों पर रजिस्ट्रेशन का जबरन अवैध दबाव बना रही है। यूसीसी पर मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए भाकपा (माले) के उत्तराखण्ड राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम से जो कानून उत्तराखण्ड की धामी सरकार ने बनाया है, वह असंवैधानिक, जनविरोधी, अल्पसंख्यक द्वेषी और महिला विरोधी है। इसलिए उत्तराखण्ड की जनता को इसका ‘नागरिक बहिष्कार’ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, संविधान में व्यवस्था है कि समान नागरिक संहिता जब बनेगी तो पूरे देश के लिए होगी। लेकिन उत्तराखंड पर एक ऐसा कानून थोप दिया गया है कि जो समाज के हर हिस्से के लिए परेशानी पैदा करेगा। जिस तरह से सभी के लिए विवाह के पंजीकरण की अनिवार्यता रखी गई है, वह अगले छह महीने तक उत्तराखंड में निवासित प्रत्येक विवाहित व्यक्ति को लाइन में खड़ा होने के लिए विवश करेगा। विवाह, लिव इन पंजीकरण न कराने और देरी करने पर 10 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक जुर्माना व 6 माह की सजा तक का प्रावधान है। इस तरह यह सिविल संहिता के बजाय क्रिमिनल संहिता में तब्दील हो गई है।
इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि, राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह दावा खोखला है कि यूसीसी अल्पसंख्यक महिलाओं को अधिकार देने के लिए है। वरना अल्पसंख्यक महिलाओं या पुरुषों का प्रतिनिधित्व कानून बनाने वाली कमेटी में जरुर होता। सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाने के लिए भाजपा सरकार इस कानून का इस्तेमाल कर रही है।
माले राज्य सचिव मैखुरी ने कहा कि, यूसीसी में विवाह पंजीकरण के लिए जिलाधिकारी शिक्षक कर्मचारियों को आदेश जारी कर रहे है कि उन्हें एक माह में रजिस्ट्रेशन करना होगा अन्यथा उनकी तनख्वाह रोक दी जाएगी, यह पूरी तरह गैर कानूनी है। सरकार सिर्फ अपने रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा बढ़ाने के लिए जिलाधिकारियों का इस्तेमाल करके शिक्षक कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रही है। धामी सरकार शिक्षक कर्मचारियों पर जबरन दबाव बना रही है जो गलत है। उन्होंने कहा कि विवाह, तलाक, लिव इन के पंजीकरण के लिए जिस तरह की निजी जानकारी मांगी गई है, वह न केवल लोगों के निजता के अधिकार का हनन है, बल्कि सरकार का लोगों के जीवन में अवांछित हस्तक्षेप भी है। यह पूरी कवायद एक पुलिसिया निगरानी तंत्र खड़ा करने की कोशिश है। इसका विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से इस कानून को लाई है वह मनुवादी व तानाशाही लादने वाला है। इस तरह का कानून लाना आमजन के लिए गहरी चिंता का विषय है।
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि, सरकार जानबूझकर इस तरह के कानून लाद रही है। ताकि जनता इसी में व्यस्त रहे, और जनता के पैसे व समय की बर्बादी हों और सरकार विवाह पंजीकरण का सारा डाटा फासीवादी निजाम स्थापित करने के प्रयोग में लगा दे। यूसीसी को बनाने वाली कमेटी में एक भी अल्पसंख्यक सदस्य को नहीं रखा जाना धामी सरकार के दुराग्रह की ही अभिव्यक्ति थी। अल्पसंख्यकों के धार्मिक कानूनों के प्रगतिशील हिस्से को भी रद्द कर दिया गया है और उनके विवाह आदि की तमाम परंपराओं को, जो स्त्री विरोधी नहीं भी हैं, उन्हें भी रद्द कर दिया गया है।
उत्तराखण्ड गवर्मेंट पेंशनर्स संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा कि देश में भाजपा सरकार आने के बाद देश का लोकतंत्र और देश का संविधान खतरे में पड़ गया है। उत्तराखण्ड की धामी सरकार राज्य की समस्याओं और नागरिक सरोकारों को नजरअंदाज कर केन्द्र के इशारे पर जनता को भ्रमित करने के लिए असंवैधानिक और जनविरोधी कानून बनाकर अपने को जनहितैषी बताकर अपनी पीठ खुद ठोंक रही है। उन्होंने धामी सरकार पर उत्तराखण्ड के विकास कार्यों, और जल, जंगल, जमीन को केन्द्र सरकार के इशारे पर खुर्द पुर्द करने के लिए बड़ी-बड़ी कम्पनियों, ठेकेदारों और पूंजीपतियों के हवाले कर केन्द्र में धन जमा करवाने का आरोप लगाते हुए जनता को सजग रहते हुए एकजुट होकर ऐसी अमानवीय – निर्लज्ज शोषण पर आधारित सरकार को सबक सिखाने और उखाड़ फेंकने के लिए सड़क पर उतर कर बड़े जनान्दोलन करने की अपील की है।
गोष्ठी में समाजसेवी उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी आनन्द नाथ ने कहा कि भाजपा की सरकार समाज को बांटकर उत्तराखण्ड की धन सम्पदा और परिसंपत्तियों की बंदरबांट करने में लगी है, इसलिए अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलजुल कर इनकी लूट के खिलाफ खड़े हों। भाकपा माले जिला कमेटी सदस्य श्याम सिंह ने पशुपालकों को पशुपालन से बेदखल कर बर्बाद करने के लिए सरकार द्वारा लाए गए गौवंश संरक्षण अधिनियम का हवाला देकर कहा जिस प्रकार गौरक्षा के नाम पर हमारी आजिविका और हमारे गौवंश की दुर्दशा सरकार ने कर दी है, यदि हम सजग नहीं हुए तो यह समान नागरिक संहिता के नाम पर लाया गया कानून हम सबको बर्बाद कर देगा। उन्होंने गोष्ठी में शामिल सभी लोगों का धन्यवाद करते हुए ‘एकजुट हो, संघर्ष करो’ का आह्वान कर गोष्ठी का समापन किया।
गोष्ठी में भाकपा माले राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी, अखिल भारतीय किसान महासभा प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी, गवर्मेंन्ट पेंशनर्स एशोसिएशन उत्तराखण्ड के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल, भाकपा माले जिला कमेटी सदस्य श्याम सिंह, आनन्द नाथ, प्रभा अधिकारी, डॉ. बी. डी. सती, किशन सिंह मेहता, देवीदत्त लखचौरा, आनन्द प्रकाश लखचौरा, बालम सिंह बिष्ट, एडवोकेट भोले शंकर, माला बिष्ट, चन्द्रा बंगारी, बाली देवी, मीना उप्रेती, पार्वती देवी, देव सिंह, पूरन चन्द्र, प्रेम सिंह बिष्ट, प्रह्लाद सतपोला, दयाल सतपोला, दिनेश उप्रेती, भूपाल सिंह बंगारी, हरेन्द्र सिंह बंगारी, रमेश चन्द्र चौधरी, देवीदत्त लखचौरा, पुष्कर सिंह बंगारी, राजे सिंह रावत, प्रह्लाद सिंह, गणेश नाथ, भीम सिंह सतपोला, नरेद्र सिंह बिष्ट, केशव दत्त ध्यानी, प्रेमा देवी, दीपा देवी, जीवन्ती ध्यानी, माया देवी, सरस्वती देवी, चना देवी, संजय बंगारी, नीरज बिष्ट, हर्षित पधान, रतन खतरी, दरवान सिंह बिष्ट, कैलाश नाथ, हिमांषु बिष्ट, दयाल सिंह, भूवन बिष्ट, बालम नाथ, धर्म गिरी महाराज आदि के साथ ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण