मातृभाषा कुमाऊंनी बोलने का बच्चों से किया गया आह्वान।

भिकियासैंण। मातृभाषा के संरक्षण, संवर्द्धन के उद्देश्य से उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली व भारत ज्ञान विज्ञान समिति जिला इकाई अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में संकुल केन्द्र बासोट में विगत 18 अप्रैल 2025 से संचालित मातृभाषा कुमाऊंनी, गढ़वाली भाषा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। मुख्य वक्ता मोहन चन्द्र गड़ाकोटी द्वारा बच्चों को अपनी मातृभाषा माँ से सीखी जाने वाली भाषा को बचाए रखने के लिए अपने घरों में कुमाऊंनी भाषा में बोलचाल करने का आग्रह किया।

वर्तमान समय में हम अपनी मातृभाषा कुमाऊंनी को भूलते जा रहे हैं। आज के बच्चे बहुत से कुमाऊंनी शब्दों की जानकारी नहीं रखते हैं, इसके पीछे का कारण आज का बदलता परिवेश है। हम आज अपनी साहित्य संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। आज बच्चों को इसी के चलते बहुत सारे कुमाऊंनी के शब्द उनके हिंदी अर्थ के साथ लिखाए गए। इसके उपरांत बच्चों को कुमाऊंनी के सुप्रसिद्ध लोक गायक, गीतकार हीरा सिंह राणा के गीत ‘अहा रे जमाना’ सामुहिक रुप से गाया गया। आज कक्षा में 21 बच्चों की उपस्थिति रही। संयोजक कुमाऊंनी भाषा कृपाल सिंह शीला द्वारा उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच के संरक्षक विनोद बछेती, संयोजक दिनेश ध्यानी, मुख्य सहयोगी दयाल नेगी, रेखा चौहान, तुलसी भट्ट, पूरन चन्द्र काण्डपाल, डॉ. चन्द्र प्रकाश फुलोरिया, डॉ. आर. के. ठकुराल, रमेश हितैषी, डॉ. हयात रावत, गिरीश चन्द्र बिष्ट ‘हँसमुख’ जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’, रमेश सोनी, दामोदर जोशी ‘देवांशु’, मोहन जोशी, डॉ. सरस्वती कोहली, होशियार सिंह ज्याला, डॉ. हरीश अण्डोला, त्रिभुवन जलाल, प्रभा बिष्ट, गिरीश मठपाल, विनोद राठौर, ठाकुरपाल सिंह, दयाशंकर गिरी आदि सभी सहयोगियों व प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया है।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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