नैनीताल में महिला अपराध को रोकने में नाकाम पर राज्यपाल के नाम भेजा ज्ञापन।

भिकियासैंण। भाकपा माले ने राज्य स्तरीय प्रतिवाद के तहत महिला अपराध रोकने में नाकाम और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर नकेल लगाने में अक्षम राज्य के मुख्यमंत्री धामी से त्यागपत्र मांगने का महामहिम राज्यपाल से अनुरोध किया है, जिस पर आज उपजिलाधिकारी भिकियासैंण के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है।

ज्ञापन में बीते दिनों नैनीताल शहर में 12 साल की अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोप उस्मान नाम के अधेड़ उम्र के व्यक्ति पर होने का जिक्र करते हुए इस वारदात को बेहद गंभीर जघन्य और निंदनीय कहते हुए इस मामले की जाँच को तेज करने, ट्रायल को फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाए जाने और समुचित जाँच के बाद आरोपी को कठोरतम दंड दिए जाने की मांग की है।

पीड़िता की ओर से प्रभावी पैरवी सुनिश्चित किए जाने और पीड़ित बच्ची को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियमावली, 2016 के अंतर्गत देय मुआवजे की राशि प्रदान करने की प्रक्रिया तत्काल शुरु करने की मांग करते हुए कहा गया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेने के बाद हुई दूसरी सुनवाई में नैनीताल पुलिस द्वारा बताया गया कि इस मामले में अब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराएँ भी बढ़ा दी गई है, जबकि यह काम तो तत्काल ही एफआईआर दर्ज करते समय कर लिया जाना चाहिए था। पीड़िता बेहद कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से है, इसलिए पीड़िता को निर्भया फंड से भी सहायता दिए जाने की मांग की गई है।

नैनीताल और पूरे उत्तराखंड में कतिपय अवांछित तत्वों द्वारा इस गम्भीर और निंदनीय घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है, ऐसे तत्वों द्वारा सिर्फ आरोपी का धर्म का होने के चलते निर्दोष दुकानदारों एवं अन्य के साथ मारपीट की गई, अल्पसंख्यकों के धर्मस्थल में घुसने की कोशिश की गई और बेहद भद्दे गाली-गलौच वाले नारे लगाए गए। इतना ही नहीं कोतवाली के अंदर एक सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस कर्मी के साथ धक्का-मुक्की और खींचातानी की गई। यह अत्याधिक निंदनीय और गंभीर है। पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार किए जाने के बाद इस तरह की वारदातों का होना बताता है, कि इस तरह की आवांछित तत्वों का मकसद केवल माहौल बिगाड़ना और सांप्रदायिक घृणा फैलाकर उसका राजनीतिक लाभ उठाना था। इसलिए इस तरह की हरकतें कतई स्वीकार्य नहीं हो सकती और इस तरह की हरकतों में शामिल तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाही होनी चाहिए। यह बेहद चिंताजनक है कि कोतवाली के भीतर सब इंस्पेक्टर के साथ धक्का-मुक्की, खींचातान और अभद्रता करने वालों के खिलाफ तक पुलिस कोई कार्रवाही नहीं कर सकी है।

उत्तराखंड में महिलाओं-युवतियों-बच्चियों के विरुद्ध अपराधों के आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे है, जिससे यह साफ दिख रहा है कि उत्तराखंड सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम है लेकिन ऐसी घटनाओं में जब सांप्रदायिक कोण होता है तो उसका लाभ उठाने के लिए सत्ता संरक्षित तत्व तत्काल कूद पड़ते है और प्रदेश का माहौल व कानून व्यवस्था को बिगाड़ते है। भाकपा (माले) द्वारा धामी सरकार पर महिला अपराध रोकने में नाकाम और सांप्रदायिकता की घटनाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड सरकार के मुखिया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस विफलता के लिए उनसे पद त्यागने को कहने का अनुरोध किया है कि ज्ञापन देने वालों में श्याम सिंह, एडवोकेट मोहन कोली, एडवोकेट सुनीता रिखाड़ी आदि थे।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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