उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच व डीपीएमआई के तत्वावधान में संचालित मातृभाषा कक्षा का हुआ समापन।

लोहाघाट (चम्पावत)। मातृभाषा हमारी अपनी पहचान है। हर क्षेत्र में अलग-अलग भाषा बोली जाती है, जो उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को एक विशेष पहचान दिलाती है। मातृभाषा कुमाऊंनी की कक्षाएँ केन्द्र राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पऊ लोहाघाट जिला चंपावत में केन्द्र प्रमुख ललित मोहन तिवारी व मातृभाषा कक्षा शिक्षक पुष्कर नाथ गोस्वामी के सहयोग से संचालित मातृभाषा कक्षाओं का सफल समापन हुआ।

मातृभाषा कक्षा के समापन सत्र का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मोहन सिंह राणा व विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुशीला चौबे द्वारा ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। इसके उपरांत बच्चों ने कुमाऊंनी वंदना “दैणी है जाये माँ सरस्वती” की प्रस्तुति के साथ अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका द्वारा मुख्य अतिथि, उपस्थित गुरुजनों व अभिभावकों व प्रतिभागी बच्चों का स्वागत करते हुए मातृभाषा कक्षा केन्द्र प्रमुख ललित मोहन तिवारी एवं मातृभाषा कक्षा शिक्षक पुष्कर नाथ गोस्वामी के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षण हमारी समझ को सहज बनाता है। हमारे सीखने को सहज बनाता है।

इस समापन सत्र का संचालन कर रहे केन्द्र प्रमुख ललित मोहन तिवारी द्वारा अपनी बात में कहा कि बच्चा प्राथमिक कक्षा में प्रवेश लेने से पहले अपनी मातृभाषा में बहुत कुछ जानता है। उसे अपने आस-पास, परिवेश की बहुत जानकारी होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी आँगनबाड़ी व प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में मातृभाषा में शिक्षण दिए जाने का समर्थन करती है। मातृभाषा कक्षा शिक्षक पुष्कर नाथ गोस्वामी द्वारा अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए सभी से आगे आने का आहृवान किया। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की, कि आज के बच्चे अपनी साहित्य-संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़े रखना हम सब की सामुहिक जिम्मेदारी है।

मुख्य अतिथि मोहन सिंह राणा द्वारा कुमाऊंनी भाषा के महत्व को बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में हमें अपनी कुमाऊंनी भाषा को संरक्षण देने की अत्यधिक आवश्यकता है। इसके उपरांत उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच – दिल्ली के संरक्षक विनोद बछेती, संयोजक दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी, दयाल सिंह नेगी, डॉ. सी. पी. फुलोरिया, दून विश्वविद्यालय, देहरादून से डॉ. हरीश अण्डोला, डॉ. आर. के. ठकुराल, डॉ. हयात रावत, दामोदर जोशी ‘देवांशु’, गिरीश चन्द्र बिष्ट ‘हँसमुख’, जगमोहन ‘जगमोरा’, डॉ. सरस्वती कोहली, उदय किरौला, डॉ. उमेश चमोला, डॉ. नन्दकिशोर हटवाल, मोहन जोशी, रमेश सोनी, पूरन चन्द्र काण्डपाल का आभार व्यक्त करने के साथ मातृभाषा कक्षा संचालन के कुमाऊं मंडल संयोजक व कुमाऊंनी साहित्यकार कृपाल सिंह शीला व सभी सहयोगी अतिथियों, शिक्षकों, अभिभावकों व प्रतिभागी बच्चों का भी सहयोग के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।

मातृभाषा के समापन दिवस पर 34 प्रतिभागी बच्चों की सक्रिय प्रतिभागिता रही। समापन सत्र में प्रियांशु, गरिमा, प्रभात शैली, पारस, धीरज ,प्रिया, सौरभ, साहिल कुमार, दिव्यांशु, प्रियांशु, गरिमा, शिवांश, प्रिया, अंशु, प्रभात, शैली आदि द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया। समापन सत्र में प्रकाश जोशी, राकेश सामंत, कमल राय, कल्पना गहतोड़ी, पूजा उपाध्याय, रीता चतुर्वेदी, मदन लाल, वन्दना जोशी, गीता जोशी आदि शिक्षक उपस्थित थे। बच्चों को सूक्ष्म जलपान के साथ 15 दिवसीय मातृभाषा कक्षा का भव्य समापन हुआ।

रिपोर्टर- रिया सोलीवाल

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