राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ द्वारा निकाली गई तिरंगा रैली, तिरंगा यात्रा के तहत हुए विभिन्न कार्यक्रम।
जल संरक्षण, जल संवर्धन, वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान पर किया गया कार्य।
रामगढ़ (नैनीताल)। राजकीय महाविद्यालय रामगढ़, नैनीताल में आज तिरंगा यात्रा के तहत तिरंगा रैली का आयोजन किया गया। तिरंगा रैली राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ से प्रारंभ होकर तल्ला रामगढ़ होते हुए बाजार क्षेत्र के बीच से आकर वापस राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में संपन्न हुई।
इससे पूर्व रैली को प्रभारी प्राचार्य डॉ. संध्या गढ़कोटी जी के द्वारा महाविद्यालय परिसर से रवाना किया गया। अपने उद्बोधन में डॉक्टर संध्या करकोटी जी ने कहा कि छात्र-छात्राओं को तिरंगे का मान-सम्मान दिल की गहराइयों से करना चाहिए। यह तिरंगा लहराने का अधिकार और स्वतंत्रता लाखों शहादतों के बाद प्राप्त हुई है, हम सब का यह दायित्व बनता है कि हम मन से वचन से और कर्म से इनका सम्मान करें। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वह शहीदों की शहादत को नमन करें और उन शहादतों के बारे में आम समाज को आने वाली पीढ़ी को बताएं ताकि सबको यह पता चल सके कि यह आजादी कितनी महत्वपूर्ण और कितनी त्याग के फल स्वरुप प्राप्त हुई है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर हरिश्चंद्र जोशी के द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। रैली में छात्र-छात्राओं के द्वारा देशभक्ति गीत, देशभक्ति नारे और भारत माता की जय के नारों से पूरे रामगढ़ को गूंजायमान किया गया। सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा, हम होंगे कामयाब एक दिन, झंडा ऊंचा रहे हमारा, भारत माता की जय, वंदे मातरम, अन्न जहां का हमने खाया आदि नारों के साथ रैली को संचालित किया गया।
समाजशास्त्र के प्राध्यापक श्री हरेश राम जी ने छात्र-छात्राओं से कहा कि भगत सिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद और अन्य शहीदों को न केवल पड़े बल्कि उनकी जीवनी को स्वयं में आत्मसात करें, यही उन शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त छात्राओं के साथ-साथ श्री हिमांशु बिष्ट, कुमारी दीप्ति, श्री गणेश सिंह बिष्ट, श्री कमलेश सिंह डोबाल, श्री प्रेम भारती, तनुजा, मयंक, प्रकाश, उर्मिला सहित सभी छात्र-छात्राओं ने तिरंगा रैली को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान किया।
इसके साथ ही साथ छात्र-छात्राओं ने तल्ला रामगढ़ में स्थित प्राकृतिक जलधारे और नदी में स्वच्छता अभियान चलाया, और प्राकृतिक जल स्त्रोत के आस-पास छायादार और फलदार पौधों का रोपण किया। उन्होंने प्राकृतिक जलधारे के आस-पास प्लास्टिक, पॉलिथीन, कांच, खरपतवार, जंगली घास इत्यादि को उखाड़ा और वहां पर नागरिकों से आह्वान किया कि वे जलधारे के आसपास न स्वयं गंदगी करें और ना ही किसी को करने दे। यह जलधारे, नदी हमारे आने वाली पीढ़ी की धरोहर है, जिसे हमें उनको सकुशल वापस देना है। जल, जंगल और जमीन के महत्व को जीवन के साथ जोड़कर ही इन जलधारों के जीवन को बचाया जा सकता है। जल संरक्षण, संवर्धन कार्यक्रम के संयोजक श्री हरेश राम जी ने सबका आभार व्यक्त किया।