“उत्तराखंड की लोक कथाएँ” प्रकाशित पुस्तक में कृपाल सिंह शीला द्वारा संकलित लोककथा का हुआ चयन।
भिकियासैंण (अल्मोड़ा)। उत्तराखंड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा लोकभाषा व बोलियों के संरक्षण एवं प्रचार – प्रसार में साहित्यकारों के उपयोगी साहित्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी, रवाल्टी, बंगाड़ी, मार्च्छा, थारु, बुक्साड़ी, राजीर, जौहारी, रंड्लू, जा्ड़ आदि भाषा और बोलियों में प्रचलित विभिन्न लोक कथाओं, दंत कथाओं एवं कहानियों का संग्रहणीय संकलन “उत्तराखंड की लोक कथाएँ” के तहत किया गया है।
उत्कृष्ट लेखों का चयन कर उत्तराखंड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा यह संकलन प्रकाशित किया गया है। इस संग्रहणीय संकलन में कृपाल सिंह शीला स.अ. विज्ञान राजकीय जूनियर हाईस्कूल मुनियाचौरा भिकियासैंण, जिला अल्मोड़ा द्वारा संग्रहित लोककथा “चार जातुरि” को भी चयनित किया है। इस लोककथा के संदर्भ व्यक्ति के रुप में 85 वर्षीय (नेत्र दिव्यांग) बचीराम, ग्राम – चनुली, तहसील – भिकियासैंण का सहयोग लिया गया है। लोक कथाओं, दंत कथाओं के इस संग्रहणीय संकलन में उत्तराखंड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा प्रेरणीय, प्रशंसनीय, सराहनीय कार्य किया गया है।