जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबंधन समिति की बैठक हुई आयोजित, जिला अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने दिए आवश्यक निर्देश।
अल्मोड़ा। जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबन्ध समिति की बैठक जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि चीड़ के जंगल या पीरुल ही वनाग्नि का कारण नहीं है, अधिकतर मामलों में मानवीय हस्तक्षेप से वनाग्नि की शुरुआत होती है। पीरुल के सहारे आग उसी तरह फैलती है, जिस तरह से अन्य बायोमास के सहारे आग फैलती है। उन्होंने कहा कि दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों तथा सीमित मानव संसाधनो के कारण वन विभाग के लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वह अकेले ही वनाग्नि नियंत्रण कर सकें, ऐसे में वनाग्नि नियंत्रण में जनसहभागिता जरुरी है।
उन्होंने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एव ग्रामीणों को जागरुक किया जाएं तथा ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को महिला मंगल दल, महिला समूह के रुप में संगठित, पंजीकृत किया जाएँ, तथा उन्हें समय-समय पर वनाग्नि के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाएं। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वन बीट अधिकारियों, राजस्व उप निरीक्षकों/पुलिस थानों, ग्राम विकास अधिकारियों, ग्राम प्रधानों, वन सरपंच, ग्राम प्रहरियों तथा महिला मंगल दल के सदस्यों व ग्रामीणों को मिलाकर ग्राम वनाग्नि समिति का गठन फायर सीजन से पूर्व कर लिया जाएं। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि फायर एप का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएं। उन्होने निर्देंश दिए कि वनाग्नि के लिए जिम्मेदार असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई भी की जाएं। उन्होंने कहा कि जंगल हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए सभी अधिकारी वनाग्नि को रोकने में अपनी-अपनी व्यक्तिगत भूमिका को निभाने से भी न बचें।
बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वनों में तालाब, चाल एवं खाल बनाकर प्लास्टिक की थैली बिछाकर पानी एकत्र किया जाएं, जिससे पशुओं को भी पानी मिल सकें और वनाग्नि के समय इनका उपयोग वनाग्नि रोकने में हो सकें। उन्होंने लोक निर्माण विभाग व वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़कों के किनारे नालियों की फायर सीजन से पूर्व साफ-सफाई आपसी समन्वय से कर ली जाएं। इस बैठक में प्रो. जे. एस. रावत ने बताया कि वनाग्नि के कारण नदियों का जल स्तर भी कम हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय में फायर फायटर का पाठक्रम लागू किया जाएं, जिसके अन्तर्गत छात्रों व ग्रामीणों को फायर फायटर का प्रशिक्षण दिया जा सकें। इस बैठक में मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी, प्रभागीय वनाधिकारी दीपक सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व सरपंच उपस्थित थे।