पतलिया में स्थित गोलू मंदिर जहां न्याय की गुहार लगाते है दूर दूर से आए भक्तजन, लोगों की भीड़ उमडी़।

भिकियासैण / भीमताल। अपनी अलौकिक छटा के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध उत्तराखण्ड धार्मिक दृष्टि से अनादि काल से ही बेहद महत्वपूर्ण है। यहां के पावन तीर्थो के कारण ही इसे ऋग्वेद में देवभूमि कहा गया है। ऐसी पावन पुण्य भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। हिमालय की गोद में बसा ये पावन क्षेत्र को पूर्ण कर्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक शक्तियों से अधिकांश लोग विदित है, इन मंदिरों में पूजे जाने वाले देवी देवताओं की शक्ति की कथा गाथा भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में फैली हुई है। इन्हीं मंदिरों में से एक नैनीताल जिले के ओखलकांडा विकासखंड के पतलिया गांव में स्थित गोलू देवता और एडी देवता का मंदिर भी है। गोलू देवता को यहां के स्थानीय क्षेत्र वासी अपनी मान्यताओं में न्याय का देवता मानने है। और अपनी विजय, यश कीर्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन लगातार यहां आकार विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना करते है।मान्यता है की जो भी भक्त यहां आकर विधि पूर्वक पूजा करता है,वह हर प्रकार से संकटों से मुक्ति पाते है, साथ ही यदि कोई अपने साथ हो रहे किसी प्रकार के अन्याय से छुटकारा चाहता है तो यहां आकर भगवान गोलू और एडी देवता के दर्शन कर न्याय की गुहार लगाता है, ऐडी देबता मंदिर के पुजारी श्री भैरव दत्त और गोलू मंदिर के पुजारी श्री नेकपाल सिंह ने बताया की हमारे पूर्वजों से सुनी कहानी के अनुसार बलना गांव में किसी की संतान ही पैदा नही हो रही थी, यदि कोई गर्भवती हो भी तो उसका गर्भ नष्ट हो जाया करता था, गांव वाले लोग बड़े परेशान हो गए लगातार अपने इष्ट देब की पूजा करने लगे और न्याय की गुहार लगाने लगे, तभी एक दिन एक निः संतान महिला को स्वपन्न हुआ कि, भगवान जल्दी ही उनकी रक्षा के लिए अवतरित हो रहे है, उस समय वह अपने मायके में रहती थी, उनकी और उनके गांव की रक्षा के लिए उनके इष्टदेब पुजारी ने भगवान के नाम पर शक्ति स्वरूप में शंख – घंट दिया, जिसे लेकर वह अपने ससुराल आ रही थी, तभी पतलिया में एक अन्य महिला से उनकी मुलाकात हुई और वार्तालाप करते समय उन्होंने वह शक्ति स्वरूप शंख घंट वहा जमीन पर रख दी, पर उसके बाद अनेक प्रयत्न करने के बाद भी वो उठा नही पाई और जितना प्रयास करते रहे,शंख घंट नीचे जमीन में धसते जा रहा था, और अंततः जमीन में विलुप्त हो गया, तब से ही यहां पर शक्ति स्वरूप गोलू जी और एडी देवता के मंदिर की स्थापना हुई और पूजा होती है, तब से ही गोलू देवता के मंदिर के पुजारी पडियार कुल के परिवार के सदस्य और ऐडी देवता के पुजारी बलियानी नाम के पंडित ही होते है। गोलू जी के पुजारी अभी तक श्री हिम्मत सिंह, उसके बाद कई वर्षो तक स्वर्गीय श्री दलीप सिंह पडियार रहे और पिछले 26 वर्षो से श्री नेकपाल सिंह और वर्तमान में श्री जोध सिंह पडियार है। इस मंदिर में नवरात्रि के पावन पर्व पर ग्रामवासी नवरात्रि में 9 दिन तक यहां पर बैठ कर पूजा अर्चना करते है, और सभी विवाहित महिलाएं अपने मायके आकार पूजा में सम्मिलित होकर भगवान गोलू देवता के दर्शन करते है। ये मंदिर इसलिए भी आलौकिक है क्यो की इस मंदिर के पूर्व में देवीधुरा में स्थित भगवती माँता का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, जहां रक्षाबंधन के दिन बग्वाल होती है, और दक्षिण में विश्व का एक मात्र बृहस्पति देव का मंदिर देवगुरु है जो दोनो दिशाओं से एक पावन भूमि को और अधिक शक्ति प्रदान करता है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत सह संयोजक डॉ सुरेंद्र विक्रम सिंह पडियार ने बताया की अपने पूर्वजों से सुनी गाथाओं के अनुसार इस पावन धरा पर वो ही आ पाता है,जिसके कई जन्मों के संचित कर्म प्रारब्ध बनकर फल दे रहे हो, या पूर्वजों का आशीर्वाद प्रदान हो या फिर गोलू देवता की कृपा हो,साथ ही बताया की पतलिया में स्थित ये मंदिर हल्द्वानी से 100 किलोमीटर की दूरी पर धनाचूली शहरफाटक, मोरनौला से नरतोला, खुजेठी होते हुए यहां पहुंचा जाता है

हालांकि, उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, लेकिन इस मंदिर की आलौकिक शक्तियां बहुत लोकप्रिय है, इस मंदिर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंपावत मे स्थित गोलू देवता का मंदिर भी है।

रिपोर्टर- एस. आर. चंद्रा भिकियासैंण

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