ब्लैकबोर्ड से स्मार्टबोर्ड तक छात्र और शिक्षकों के संबंधों की बदलती गतिविधि।

डॉ. भारत पाण्डे
असिस्टेंट प्रोफेसर रसायन विज्ञान
सरदार भगत सिंह राजकीय महाविद्यालय
रूद्रपुर।

रूद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) आज की तकनीकी दुनिया में छात्र और शिक्षकों के बीच संबंधों में एक बड़ा बदलाव आया है। इस संबंध की बदलती गतिविधि का एक उदाहरण है, जहां ब्लैकबोर्ड से स्मार्टबोर्ड की ओर चलना हुआ है। यह प्रगति के साथ, छात्रों और शिक्षकों के बीच संबंधों को भी प्रभावित कर रही है। ब्लैकबोर्ड से स्मार्टबोर्ड की ओर गतिविधि दिखाते हुए, छात्र और शिक्षक अब तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके पढ़ाई कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, छात्रों को अधिक सक्रिय भूमिका मिलती है, जहां वे स्वयं को संपादित करके सीख सकते हैं। वे चार्ट्स, ग्राफ और वीडियो के माध्यम से अधिक समझ सकते हैं और उन्हें अधिक रुचि होती है।

इसके साथ ही, शिक्षक भी तकनीकी उपकरणों के सहारे अधिक दिलचस्प पाठ योजनाएं तैयार कर सकते हैं। स्मार्टबोर्ड के माध्यम से, वे वीडियो, प्रेजेंटेशन, और इंटरेक्टिव एप्लिकेशन का उपयोग करके मार्गदर्शन कर सकते हैं। इससे स्वयं को समय और मेहनत बचाने का भी फायदा होता है।

हालांकि, इस तकनीकी प्रगति के साथ आई सुविधाएं भी कुछ चुनौतियों को साथ लाती हैं। छात्रों को तकनीकी उपकरणों को संचालित करना सीखने की आवश्यकता होती है, और शिक्षकों को नई तकनीकी का संबंधित उपयोग करना सिखाना पड़ता है। विद्यालयों में तकनीकी खर्च और उपकरणों की उपलब्धता भी चुनौतियों को पैदा कर सकती है।

सारांश के रूप में, ब्लैकबोर्ड से स्मार्टबोर्ड की ओर चलने से छात्र और शिक्षकों के संबंधों में बड़े संशोधन की जरूरत हुई है। यह तकनीकी प्रगति छात्रों को अधिक सक्रिय भूमिका और शिक्षकों को उनके पाठ योजनाओं को सुधारने की सुविधा प्रदान करती है।

हालांकि, इसके साथ ही चुनौतियां भी हैं और इन चुनौतियों को हमें संगठित तरीके से समाधान करने की आवश्यकता होती है। तकनीकी उपकरणों का संचालन करने की क्षमता और उनका सही उपयोग सिखाने के लिए प्रशिक्षण और सुविधाएं भी बदलती ज़रूरत है।

इस प्रकार, ब्लैकबोर्ड से स्मार्टबोर्ड की ओर बढ़ते हुए, छात्र और शिक्षकों के संबंधों में एक नया दौर आया है। यह तकनीकी प्रगति से हमारे शिक्षा प्रणाली में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इस प्रगति का सही उपयोग करके छात्रों की उच्चतम संभावनाओं को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।इसके अलावा, तकनीकी प्रगति के साथ शिक्षा क्षेत्र में भी नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। छात्रों को तकनीकी उपकरणों का सही उपयोग करना सिखाने के लिए शिक्षकों को इन उपकरणों के संचालन का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए उन्हें नवीनतम तकनीकों की समय-समय पर जागरूकता रखनी चाहिए और अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि वे आवश्यक योग्यता और संचालन क्षमता प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही, तकनीकी खर्च को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। स्मार्टबोर्ड और अन्य तकनीकी उपकरणों की खरीदारी और अद्यतन के लिए विद्यालयों को वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसलिए, संगठनों और सरकारों को इस दिशा में वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि विद्यालयों के पास उचित सुविधाएं हो सकें।

संक्षेप में कहें तो, तकनीकी प्रगति शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके साथ-साथ उन्नतियों को संभालने के लिए चुनौतियां भी हैं। हमें इन चुनौतियों का सामरिक ढंग से सामना करना चाहिए और तकनीकी उपकरणों को संचालित करने के लिए शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। इसके साथ ही, वित्तीय सहायता के माध्यम से विद्यालयों को तकनीकी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए ताकि वे छात्रों को एक उच्चतर शिक्षा प्रदान कर सकें और इस तरीके से यह सुनिश्चित करें कि हमारे छात्र तकनीकी युक्तियों के साथ कदम रख सकें।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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