हिट एंड रन केस में हो सकती है 10 साल की सजा। (विशेष संवाददाता- कुन्दन)

नई दिल्ली। अब अगर किसी वाहन चालक ने सड़क दुर्घटना के बाद मौके बाद फरार होने की बात सोची तो वह बच नहीं सकता। केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक में किसी की लापरवाही से मौत होती है तो आरोपी के लिए छूटना इतना आसान नहीं होगा। भारतीय दंड संहिता ने किसी की “लापरवाही” के कारण होने वाली मौत की सजा में बढ़ोतरी कर दी है। सड़क हादसों को लेकर आम जनता में एक बात मशहूर है कि किसी को कुचलकर भी आरोपी चालक पुलिस थाने से ही जमानत पाकर छूट जाता है, लेकिन हादसे में घायल या मृतक के परिजन इलाज कराने या शव लेने के लिए भी पुलिस और अस्पताल चक्कर काटते रह जाते हैं। अनेको मामलों में तो दोषी सिद्ध होने पर सिर्फ जुर्माना भरकर आरोपी छूट भी जाता है।

केंद्र द्वारा प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता 2023 में अगर किसी की लापरवाही से किसी शख्स की मौत हो जाती है तो ऐसे में आरोपी के लिए छूटना आसान नहीं होगा। केंद्र सरकार ने भारतीय कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। इन्हीं प्रस्तावों के तहत अब सड़क दुर्घटना के बाद वाहन चालक हादसे के बाद मौके से फरार होकर बच नहीं सकता। आईपीसी की धारा 104 के तहत लापरवाही से मौत या फिर जल्दबाजी या लापरवाही से हुई मौत के अपराध में पहले दो साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था। अब प्रस्तावित विधेयक में इसके लिए न्यूनतम सात साल से दस साल तक कैद और जुर्माना भी देने का प्रावधान किया गया है। बता दें कि ऐसा अपराध जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, इसमें आरोपी घटनास्थल से फरार हो जाता है या घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है तो उसे दोनों प्रकार यानी कैद और नगद जुर्माना दोनों से दंडित किया जाएगा।

इसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। भारतीय दंड संहिता ने किसी की “लापरवाही” के कारण होने वाली मौत की सजा में बढ़ोतरी कर दी है. नए कोड की धारा 104 में कहा गया है, अगर किसी शख्स की लापरवाही से, किसी की मौत हो जाती है, तो इसके लिए उसे जेल हो सकती है, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण










