अवैध निर्माण का डर दिखा ब्लैकमेलिंग का धंधा जोरों पर।

पुल प्रहलादपुर, खड्डा कॉलोनी, जैतपुर, शाहीन बाग़, जामिया नगर, कंचन कुंज आदि इलाकों ने अवैध निर्माण की शिकायत का भय दिखा बिल्डरों को किया जा रहा है ब्लैकमेल। (विशेष संवाददाता – कुन्दन)

दक्षिणी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 1760 अनाधिकृत कॉलोनियां बसी हुई हैं। इन कॉलोनियों में सरकार द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएँ दी जाती रही हैं जैसे पीने का पानी, सीवर, बिजली आदि। इसी तरह दक्षिणी दिल्ली के पुल प्रहलादपुर,खड़ा कॉलोनी, जैतपुर, शाहीन बाग़, जामिया नगर, कंचन कुंज आदि अनेकों अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में बिल्डरों ने छोटे-बड़े फ्लैट और कहीं बहुमंजिला इमारतों को बनाकर लाखों परिवारों को घर देने का काम किया है बल्कि यूँ कहें कि सिर छुपाने के लिए छत दे रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिल्डरों की वजह से ही इन इलाकों में काफ़ी सुविधा मिलती है। उन्होंने कहा कि बिल्डर एक ईमारत को बनाने में काफी मशक्कत करता है और साथ ही ईमारत में पार्किंग, प्ले-स्कूल, ज़िम, कॉलोनी को अपराध से बचाने के लिए अनेकों गेट और इलाके में ही मार्केट आदि बनाकर अच्छी व्यवस्था करते हैं। लेकिन इन सब सुविधाओं को देने के लिए बिल्डरों को लोहे के चने चबाने होते हैं।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जैतपुर, कालिंदी कुंज, शाहीन बाग़, जामिया नगर, पुल प्रहलादपुर इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायत करके ब्लैकमेलिंग का धंधा जोरों पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि खड्डा कॉलोनी इलाके में भाजपा नेता के करीबी ने शिकायत करके बिल्डरों से लाखों रुपये वसूल लिए हैं। वहीँ, पुल प्रहलादपुर इलाके में गैर सरकारी संगठन (NGO) के नाम पर शिकायत करके भवन ध्वस्त करवा देने डर दिखा कर ब्लैकमेलिंग की जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बिल्डरों को ईमारत बनाना दूभर हो गया है। उन्होंने कहा कि राष्टीय पार्टी के ब्लॉक स्तर के नेता, क्षेत्रीय पार्टी की टिकट पर निगम चुनाव लड़ चुके नेता और कुछ स्थानीय लोग अवैध निर्माण की शिकायत करके भवन ध्वस्त करवा देने की धमकी देकर लाखों रुपये की वसूली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार शिकायत होने पर निगम ने तोड़फोड़ की कार्यवाही भी की है। जिससे बिल्डर लॉबी के साथ-साथ घर खरीदने वाले खरीदार भी परेशान होते हैं।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!