तहसील मुख्यालय भिकियासैंण से 15 किमी. दूर मानिला कमराड़ मंदिर परिसर में आज भी मनाया जाता है, आजादी के जश्न का कार्यक्रम।

भिकियासैंण (अल्मोड़ा) उत्तराखण्ड का एक दूरस्थ इलाका जो भिकियासैंण विकासखंड से 15 कि. मी. की दूरी पर स्थित है, यहां आज भी मानिला देवी मंदिर कमराड़ (विनायक) परिसर में क्षेत्रीय लोगों द्वारा आजादी का जश्न धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर समिति के अध्यक्ष व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता तुला सिंह तड़ियाल ने बताया कि यहां पांडव कालीन एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर मेंं स्थानीय जनता द्वारा देश की आजादी मनाने का एक अनोखा रिवाज आज़ भी कायम है, यूं तो देश की आजादी मनाने के लिए सरकारी कार्यक्रम स्कूल कॉलेजों से लेकर तहसील जिला व राज्य की राजधानियों में होते रहते हैं, और सबसे बड़ा आयोजन दिल्ली के लाल किले में आयोजित किया जाता हैं, परन्तु यहां की जनता द्वारा आजादी मनाने का यह अनोखा रिवाज आज आजादी के 77 वर्ष बाद भी यहां जारी है।

कहते हैं यहां के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में श्री बचे सिंह अधिकारी, श्री नरपतसिंह मेहरा व श्री जयदत्त वैला व शिक्षाविद श्री गोपाल दत्त वैला, महंत खीमानंद मठपाल, श्री मुरलीधर मठपाल, श्री दीवान सिंह रावत, खुशाल सिंह अधिकारी आदि लोगों ने क्षेत्रीय जनता को इस स्थान पर आजादी मनाने के लिए प्रेरित किया, और लोग परम्परागत वाद्ययंत्रों, नगाडे़-निशाड़ के साथ यहां पर आते थे, स्कूली बच्चों की तरह-तरह की झांकियां निकाली जाती थी, एनसीसी व स्काउट गाइड की भव्य परेड आयोजित की जाती थी, सुबह पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा झण्डारोह कर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी जाती थी, उसके बाद संगीतमय ध्वनि में सामुहिक राष्ट्र गान गाया जाता था। जनता को आकर्षित करने के लिए श्री नरपतसिंह मेहरा जी के द्वारा अनेक करतब दिखाए जाते थे। पारम्परिक झोड़ा चांचरी आदि कार्यक्रम आयोजित कर बड़े उत्साह के साथ जनता द्वारा देश की आजादी का जश्न मनाने का ऐसा अनूठा उदाहरण पूरे देश में अन्यंत्र कही देखने को नहीं मिलता है। बाद के दिनों में सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिलने के कारण इस राष्ट्रीय कार्यक्रम ने एक मेले का रुप ले लिया, और प्राणदायनी नौला-मानिला देवी पेयजल योजना के यहां पर बनने से मानिला देवी मंदिर प्रबंधक कमेटी का गठन हुआ, तब से इस कमेटी के माध्यम से यहां पर बड़े-बड़े चट्टानों को समतल कर हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर समूह के साथ साथ एक बड़ा प्रवचन हाल अतिथियों के रहने के लिए अतिथि गृह बनाए गए हैं। सबसे बड़ा आश्चर्य जनक विषय यह है कि यहाँ पर बने नौ दुर्गा का मन्दिर है, जो वृत्ताकार बने इस मंदिर के डंठल नुमा भाग में साधु-संतों का आवास है, उसके उपर लगभग 14 फीट गहरा तालाब है, और तालाब के ऊपरी भाग में नौ दुर्गाएं विराजमान हैं, मंदिर के अन्दर का दृश्य बहुत ही अलौकिक है, ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने यहां पूरी प्रकृति को अपने आप में समेट कर रखा है। पिछले दो दशक से मंदिर प्रबंधक कमेटी ने यहां पर देश की आजादी मनाने के पुराने स्वरुप को लौटाने का प्रयत्न किया है। आज यहां पर प्रात: 8 बजे झण्डारोह कर राष्ट्र गान होता है, उसके बाद पारम्परिक झोड़ा चांचरी तथा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इस वर्ष झण्डारोहण वयोवृद्ध सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक श्री नन्दन सिंह रावत व महंत दत्तगिरी महाराज जी ने संयुक्त रूप से किया। तत्पश्चात राष्ट्र गीत के बाद भारत माता की जय व देश के अमर शहीदों के जयकारे लगाए गए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ग्राम प्रधान कमराड़ श्रीमती कमला देवी, बहादुर सिंह रावत, इन्द्र सिंह भण्डारी, दिगम्बर दत्त जोशी, पूरन चन्द्र जोशी, श्रीमती पुष्पा जोशी, हवलदार बचीराम जोशी, राम सिंह रावत, पूरन सिंह रावत, नरेश रावत सहित भारी तादाद में लोग उपस्थित थे। ज्ञांतव्य हो कि कल ही यहां पर श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ महोत्सव का समापन हुआ है। इस महोत्सव में भी दूर दूर से श्रद्धालु प्रतिदिन यहां आया करते थे। इसकी धार्मिक पर्यटन के रूप में पहचान हो जाने से अब दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। इसलिए इस वर्ष सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा से यहां पर रेगुलर पुलिस उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण

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