महिला सशक्तिकरण पर मंथन के लिए देश भर से जुटे लोग।

भिकियासैण /हल्द्वानी। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रांत के जिला नैनीताल द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में भारत में महिला सशक्तिकरण और कानून को लेकर कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। संगोष्ठी में उत्तराखंड सहित देश के अलग अलग हिस्सों से कई लोग ऑनलाइन शामिल हुए। प्रमुख संदर्भ दाता के रूप में जुड़े भारतीय सूचना सेवा की अधिकारी श्रीमती शालिनी अवस्थी और अधिवक्ता उच्च न्यायालय श्री सुरेश चंद्र भट्ट रहे, श्रीमती शालिनी ने कहा कि हम महिलाओं की परेशानियों को भी सशक्तिकरण बताकर महिमामंडित करने लगे हैं। साथ ही कामकाजी महिलाओं को दफ्तर और घर दोनों जगह काम करना पड़ता है, लेकिन गिनती एक ही काम की होती है। बजाय इसके कि इस दोहरे काम के बदले उन्हें आराम दिया जाय हम वंडर वूमन का नाम देकर महिलाओं की पीड़ाओं को ढक देते हैं। संगोष्ठी के दूसरे संदर्भदाता अधिवक्ता सुरेश भट्ट ने कहा कि महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कई कानून पहले से मौजूद हैं। इन कानूनों के बारे में महिलाओं को जागरूक किए जाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कानून की धाराओं की उल्लेख करते हुए महिलाओं को किस तरह से अपने ऊपर हो रहे घरेलू हिंसा पर कानूनी कार्यवाही के लिए आगे आना चाहिए जिसकी विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और न्यास के प्रांत अध्यक्ष और पूर्व प्रांत अध्यक्ष अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रो. नीरज तिवारी ने कहा कि समाज के हर क्षेत्र में आज महिलाएं अपना काम बखूबी कर रही हैं। हमें उन्हें प्रोत्साहित करने के साथ उनके अतिरिक्त श्रम को सम्मान देने की सख्त जरूरत है और हमारे ये प्रयास सफल भी हो रहे है। देश के लगभग सभी हिस्सों पर आज महिलाएं बड़ी संख्या में हिस्सा ले रही है, संगोष्ठी के संयोजक और शिक्षा संस्कृति न्यास उत्तराखंड प्रांत के सह संयोजक डॉ. सुरेंद्र विक्रम सिंह पडियार ने बताया की किस प्रकार 2004 लोकसभा चुनाव के बाद सयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने शिक्षा पाठ्यक्रम में किए बदलाव से शिक्षा बचाओ आंदोलन का गठन करना पड़ा, और बाद में इसको एक स्थाई रूप देख शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया, उन्होंने न्यास के अब तक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के बारे में उपस्थित लोगों को बताया। जिसमे कुछ प्रमुख बाते जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए 2015 से काम करके सुब्रमंड्यम समिति और कस्तूरीरंगन समिति को अपने सुझाव दिए साथ ही न्यास के प्रयास से आज सभी विश्विद्यालय में दीक्षांत समारोह में वहा की संस्कृति के अनुसार वेशभूषा है और किस प्रकार महान गणितज्ञ रामानुजन का जन्म दिवस गणित दिवस के रूप में मनाया गया और अंतराष्टीय मातृ भाषा दिवस किस प्रकार देश में सभी जगह मनाए जाने लगा इन सब के पीछे न्यास के सफल प्रयास के बारे में लोगो को अवगत करवाया और कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था भारत की संस्कृति के अनुरूप हो इसके लिए न्यास लगातार प्रयास करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।

कार्यक्रम आयोजन सचिव डॉ दीपशिखा जोशी ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया, और कहा कि बदलते भारत में महिलाओं के मुद्दे भी बदल रहे हैं। ऐसे में समाज को महिला सशक्तिकरण की परिभाषा को इस दौर की जरूरत के मुताबिक समझना होगा। कार्यक्रम के संरक्षक प्रोफेसर अशोक मंडोला ने अतिथियों व प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हम आगे भी ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा– परिचर्चा करते रहेंगे। कार्यक्रम में प्रोफेसर नीता बोरा, प्रधानाचार्या तारा बोरा, समाज सेविका माया देवी, प्रीति शुक्ला, निरुपम नौडियाल सहित कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए।

रिपोर्टर- एस. आर. चंद्रा भिकियासैंण

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