हादसे के बाद भी नहीं चेते बिल्डर। ओखला औद्योगिक इलाके में भवन निर्माण में नहीं किया जा रहा है सुरक्षा यंत्रों का प्रयोग, हो सकते हैं बड़े हादसे। (विशेष संवाददाता – कुन्दन)
नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में निगम की अनुमति से छोटे-बड़े भवन निर्माण कार्य चलते ही रहते हैं। लेकिन भवन निर्माण में अनियमितता के साथ-साथ कामगारों के जीवन से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। बता दें कि ओखला औद्योगिक क्षेत्र में अनेकों जगह पर पुरानी बिल्डिंग को बड़ी जेसीबी मशीन से तोड़कर और ज़मीन खोदकर बेसमेंट बनाने का काम चल रहा हैं, लेकिन कामगारों की सुरक्षा के लिए कोई पैमाना तय नहीं किया जाता है। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली कि बिल्डर या बिल्डिंग मालिक भवन निर्माण करने या पुरानी बिल्डिंग को तोड़ने के लिए कामगार मजदूरों को बिना सुरक्षा यंत्रों के जोखिम भरा काम देते हैं, जिसकी वजह से भविष्य में बड़े हादसे होने से कामगार मजदूरों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
बता दें कि बिल्डिंग बनाने से पहले मालिक और बिल्डर के कांटेक्ट में तय किया जाता है कि बिल्डर या ठेकेदार कामगार मजदूरों से बिना सुरक्षा यंत्र काम नहीं करवा सकता। कांटेक्ट के अनुसार भवन या बिल्डिंग निर्माण पूरा होने तक कामगारों के लिए वर्कमेन कॉम्पेन्सेशन बिमा पॉलिसी का होना जरुरी है ताकि किसी भी हादसे में घायल या मृत्यु होने पर कामगार के परिवार को बीमा लाभ मिल सकें, नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेकेदार के मुताबिक निगम से अनुमति मिलने के बाद भवन निर्माण शुरु किया जाता है लेकिन कामगारों की सुरक्षा यंत्रों की पुख्ता इंतज़ाम की जांच करने कोई सम्बंधित एजेंसी या स्थानीय प्रशासन तक नहीं पहुँचता है। शायद भविष्य में होने वाले हादसों की प्रतीक्षा रहती है। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग तोड़ने या निर्माण के समय कामगार मजदूरों, सुपरवाइजर और अन्य सभी को निर्माण स्थल पर बूट, सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट अनिवार्य है। गौरतलब है कि बीते दो महीने पूर्व ओखला औद्योगिक इलाके में खुदाई के दौरान मलबे में दबने से दो मदजूरों की मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद मृतकों के परिवार को दो लाख और गंभीर रुप से घायलों को पचास हज़ार रुपये की मुआवजा राशि दी गई।