नवरात्रि में कलश स्थापित क्यों किया जाता हैं ?
(ज्योतिषाचार्य – डॉ. मंजू जोशी हल्द्वानी)
हल्द्वानी (नैनीताल)। नवरात्रि के प्रथम दिवस (सभी शुभ कार्यों) हम सभी अपने घरों में कलश स्थापित (घट स्थापना) करते हैं, तो कलश स्थापना के विषय में जानकारी देने का एक छोटा सा प्रयास अपने आलेख के माध्यम से कर रही हूं।
कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित:।
मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:।।
कुक्षौ तु सागरा: सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।
ऋग्वेदोअथ यजुर्वेद: सामवेदो ह्यथवर्ण:।।
अंगैच्श सहिता: सर्वे कलशं तु समाश्रिता:।
अत्र गायत्री सावित्री शांतिपृष्टिकरी तथा।
आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।
सर्वे समुद्रा: सरितस्तीर्थानि जलदा नदा:।
आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।
कलश सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख मंडल में भगवान विष्णु गले में रुद्र (शिव), मूल में ब्रह्म तथा मध्य भाग में सभी देवीयां (शक्तिरुप में) निवास करती हैं। नवरात्रि व किसी भी शुभ अवसर पर ब्रह्मांड में उपस्थित सभी शुभ शक्तियों का घट में आह्वान कर आमंत्रित किया जाता है। साथ ही कलश को सभी नदियों तीर्थों का प्रतीक मानकर कलश की पूजा अर्चना की जाती है।
कलश पर नारियल अन्य सामाग्री रखने का महत्व –
कलश स्थापना का नियम है कलश को ईशान कोण में स्थापित किया जाता हैं, जो कि वास्तु के परिपेक्ष से शुभ दिशा है। ध्यान रखें की कलश ताम्र का ही हों, जिसमें विद्युत चुंबकीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। नारियल के अंदर भी जल होता है, दोनों के सम्मिश्रण से ब्रम्हांडीय सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कलश के ऊपर लाल रंग के वस्त्र में नारियल लपेटकर रखा जाता है, नारियल को गणेश जी का प्रतीक मानकर पूजा, अर्चना की जाती है।
धर्मशास्त्रानुसार व वैदिक ज्योतिष के अनुसार जल को चंद्रमा का कारक तत्व माना गया है, अतः कलश में भरे गए पवित्र जल की तरह हमारा मन भी स्वच्छ व निर्मल बना रहे, और हम सभी प्रकार के घृणा, क्रोध और मोह की भावना का परित्याग कर सके। भरे हुए कलश को घर में रखने से संपन्नता आती है। कलश में स्थापित जल में दूर्वा, सुपारी, वी अक्षत, तिल इत्यादि डाले जाते हैं। इसके ऊपर आम के पत्ते लगाए जाते हैं, इसके पीछे का कारण है कि दूर्वा में संजीवनी के गुण होते हैं। सुपारी के समान स्थिरता घर में रहती है। पुष्प में उमंग व उल्लास का गुण होता है। आम के पत्तों में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा होने से घर के वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।नवरात्रि पूर्ण होने के उपरांत कलश विसर्जन पर कलश में भरे हुए जल का संपूर्ण घर में छिड़काव करें सुपारी व सिक्का तिजोरी में रखें व नारियल को प्रसाद रुप में ग्रहण करें।