राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में संगोष्ठी का हुआ आयोजन।
रामगढ़ (नैनीताल)। भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता विषय पर राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में संगोष्ठी आयोजित की गई। प्राचार्य डॉ. नगेंद्र द्विवेदी, डॉ. बी. डी. कांडपाल, डॉ. कमला चन्याल के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। शिक्षक दिवस के अवसर पर डॉक्टर कमला चन्याल पूर्व प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय बाजपुर एवं डॉ. भवानी दत्त कांडपाल पूर्व प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय कांडा को सम्मानित किया गया।
डॉ. बी. डी. कांडपाल का कहना है कि भारतीय ज्ञान परंपरा वर्तमान समय की मांग है। इच्छा, क्रिया, ज्ञान का मिश्रण ही सफलता का आधार है और इन सबसे ऊपर है चरित्र की शक्ति और सदाचार, इन गुणों को पाकर व्यक्ति आदमी से इंसान बनने के सफर को पूर्ण करता है। अन्न मय कोष, प्राण मय कोष, विज्ञान मय कोष और आनंदमय कोष इन चार अवस्थाओं के माध्यम से डॉ. कांडपाल ने मनुष्य के जीवन की यात्राओं का वर्णन किया। उनका कहना था कि अन्य मय कोष से प्रारंभ होकर आनंद मय कोष की प्राप्ति ही मनुष्य जीवन है और इन सभी यात्राओं में आनंद मय कोष ही सर्वोत्तम और सर्व संतुष्ट यात्रा है। काम, क्रोध, मद्ध, लोभ, इर्ष्या से ऊपर उठना ही सच्ची मानवता है।
बाजपुर महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉक्टर कमला चन्याल ने कहा कि सम्मान देने से ही सम्मान मिलता है, छात्र-छात्राओं को चाहिए कि गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए शिक्षकों की कहीं हर बात का अनुसरण करें, तभी जीवन में सभी सिद्धियां प्राप्त होगी। गुरु का आशीर्वाद सफलता की कुंजी है। प्राचार्य डॉ. नगेंद्र द्विवेदी ने सभी आगंतुकों का हृदय से आभार व्यक्त किया एवं अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में ऐसे विद्वान जनों का आना महाविद्यालय के लिए सौभाग्य का विषय है। इनका अनुभव, कार्यशैली, कर्तव्य निष्ठा, ईमानदारी, अनुकरणीय है, यह हम सबके लिए सीखने का अवसर है।
इस अवसर पर संस्कृत की विद्वान विभाग प्रभारी डॉ. माया शुक्ला ने कहा कि संस्कृत विषय में भविष्य की अपार संभावनाएं हैं और इस हेतु विषय को मनन, चिंतन करने की और विषय को समझने की आवश्यकता है। भारतीय सेना से लेकर आम जनजीवन में संस्कृत की समस्त संभावनाओं पर डॉ. माया शुक्ला ने प्रकाश डाला। समाजशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. हरेश राम ने कहा कि हम सबको डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से सीख लेते हुए उनके बताए सदमार्ग पर चलना चाहिए। डॉक्टर हरीश चंद्र जोशी ने कहा कि जीवन लूडो के खेल के समान है, जिसमें हमेशा छः नहीं आता, एक और दो भी आ जाता है तब भी हमें खेल जारी रखना चाहिए। ईश्वर ने जो दिया वह उनकी कृपा है और जो नहीं दिया वह उनकी इच्छा है। इस सूत्र वाक्य के साथ यदि हम जीवन जिएंगे तो जीवन में कभी भी परेशानियां नहीं आएंगी।
श्रीमती नीमा पंत ने अपने कविता पाठ से जमकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. निर्मला रावत ने किया। वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. संध्या गढ़कोटी ने संपूर्ण कार्यक्रम में विशेष सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के द्वारा कुमाऊंनी सांस्कृतिक नृत्य एवं बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ पर अभिनय नृत्य भी किया गया, जिसमें कु. पायल, कु. चित्रा, तनुजा, राधा ने विशेष भूमिका निभाई। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त छात्र-छात्राओं के साथ श्री कविंद्र प्रसाद, श्री हिमांशु बिष्ट, श्री गणेश बिष्ट, सुश्री दीप्ति, श्री कमलेश, श्री प्रेम भारती, प्रकाश, मयंक विशेष रुप से उपस्थित रहे।