प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा तहसील स्याल्दे में मनाया गया होली पर्व।

स्याल्दे। तहसील स्याल्दे में ब्रह्मकुमारीज गीतापाठशाला में होली पर्व मनाया गया। होली रंग पर्व के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय की शाखा की क्षेत्रीय संचालिका बी. के. कंचन बहन ने होली का रहस्य सत्संग में आए जिज्ञासु भाई-बहनों को बताया कि होली चार रुप से मनाते है –
1- होली जलाना, अर्थात् पुरानी बातों को कर, बीती को बीती कर आगे बढ़ना अर्थात् होली मनाना, बुराई को जलाना।
2- होली अर्थात् रंग लगाना, प्रेम का रंग स्नेह हर कार्य सहज करने का साधन है।
3- होली अर्थात् गले लगना, संस्कारों को मिलाकर चलना।
4- होली अर्थात् मिठाई खिलाना, मीठा बोलना, अच्छा बोले।
कहा गया है। एक बात है औषधि एक बात है घाव, बात के हाथ ना पाव। होली एक दिन की नहीं सदा की होली सदा विकारों को जलाना अर्थात् सदा प्रभु के रंग में रगे रहना। इस अवसर पर सभी ने एक-दूसरे को होली का रंग लगाकर गीत गाए व एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम में बी. के. विनीता, बी. के. रमाशंकर भाई, मुन्नी बंगारी, विमला, नीमा, गोविंदी, छाया आदि स्याल्दे के भाई-बहनें शामिल रहे।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण




