दो दिवसीय अर्थ गङ्गा: संस्कृति, विरासत, एवं पर्यटन के अंतर्गत “योग विज्ञान एवं अध्यात्म” विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी हुई शुरु।
अल्मोड़ा। योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में दो दिवसीय अर्थ गङ्गा: संस्कृति, विरासत, एवं पर्यटन के अंतर्गत “योग विज्ञान एवं अध्यात्म” विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (पूर्व कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय), सत्र अध्यक्ष प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट (परिसर निदेशक), विशिष्ट अतिथि प्रो. जगत सिंह बिष्ट (पूर्व कुलपति/संकायाध्यक्ष, कला), विशिष्ट अतिथि प्रो. मधुलता नयाल, विशिष्ट अतिथि डॉ.रजनी नौटियाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल), विशिष्ट अतिथि प्रो. सुशील कुमार जोशी, विशिष्ट अतिथि के रुप में कुलसचिव डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट, सह संयोजक डॉ. लल्लन कुमार सिंह ने सरस्वती चित्र एवं भारत माता चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया।
कार्यक्रम में ऑनलाइन रुप से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल रहे। उन्होंने योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस के लिए बधाईयाँ दी। उन्होंने कहा कि योग सनातन परंपरा एवं भारत के आध्यात्मिक चेतना को बाहर लाने का विशिष्ट प्रयास है। सम्पूर्ण विश्व में योग की बातें हो रही है। भारत की इस पुरातन योग परंपरा को आगे ले जाने के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन भट्ट को बधाईयाँ दी। कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट ने कहा कि कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट के संरक्षण में कॉन्फ्रेंस आयोजित हो रही है। स्वामी विवेकानंद जैसे आध्यात्मिक पुरुषों की इस भूमि में योग विज्ञान विभाग ने योग के क्षेत्र में कई कार्य किए है। आज इस सेमिनार में आस्ट्रेलिया, चीन अफ्रीका आदि के योग से जुड़े हुए विद्वान अपने व्याख्यान देंगे। मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (पूर्व कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय) ने कहा कि विज्ञान हमें अवसर प्रदान करता है और योग हमें उत्सव प्रदान करता है। जहां एक का अंत हो वह एकांत है। योग द्वैत से अद्वैत की ओर ले जाता है। योग सभी परेशानियों का मुक्त करता है, योग चित्रवृत्तियों का निरोध करता है। यदि हम योग को समझना चाहें तो योग जोड़ने की यात्रा है। यह अच्छाई को जोड़ने की यात्रा है। शरीर स्वस्थ है तो इंद्रियां स्वस्थ है। शरीर, इन्द्रियां, मानसिक स्थिति, आत्मा यदि ठीक है तो हम बेहतर तरीके से कार्य कर पाएंगे। उन्होंने आत्मा की शुद्धि एवं प्रसन्नचित व्यवहार में योग की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व योग की तरफ देख रहा है। आज योग को वैज्ञानिकता की दृष्टि से देखे जाने की जरुरत है और योग को लेकर अंतर विषयों में शोध होने चाहिए। उन्होंने योग एवं आयुर्वेद दोनों की चर्चा रखी।

विशिष्ट अतिथि के रुप में पूर्व कुलपति और संकायाध्यक्ष, कला प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा योग मूल रुप से ‘युज’ धातु से बना है जिसका अर्थ जोड़ना है। उन्होंने योग के आठ अंगों की चर्चा करते हुए कहा कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि आदि का पालन योग में किया जाता है तो शरीर एकभाव में आता है। योगी यदि योग का पालन करता है तो स्वयं को ढूंढता है। मैं क्या कहूं? क्या है? यह चिंतन करता है। हम एकांत क्षण में चिंतन करते है। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सुशील कुमार जोशी (संकायाध्यक्ष, विज्ञान) ने कहा हम भारत के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करने लगे है और योग विभाग इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। विशिष्ट अतिथि के रुप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर डी. एस. बिष्ट ने कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट के द्वारा किए जा रहे नवाचार और कार्यों की चर्चा की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (पूर्व कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय) ने कहा कि विज्ञान हमें अवसर प्रदान करता है और योग हमें उत्सव प्रदान करता है। जहां एक का अंत हो वह एकांत है। योग द्वैत से अद्वैत की ओर ले जाता है। योग सभी परेशानियों का मुक्त करता है, योग चित्रवृत्तियों का निरोध करता है। यदि हम योग को समझना चाहें तो योग जोड़ने की यात्रा है। यह अच्छाई को जोड़ने की यात्रा है। शरीर स्वस्थ है तो इंद्रियां स्वस्थ है। शरीर, इन्द्रियां, मानसिक स्थिति, आत्मा यदि ठीक है तो हम बेहतर तरीके से कार्य कर पाएंगे। उन्होंने आत्मा की शुद्धि एवं प्रसन्नचित व्यवहार में योग की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व योग की तरफ देख रहा है। आज योग को वैज्ञानिकता की दृष्टि से देखे जाने की जरुरत है और योग को लेकर अंतर विषयों में शोध होने चाहिए। उन्होंने योग एवं आयुर्वेद दोनों की चर्चा रखी।
अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रोफेसर प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि योग का हमारे जीवन में योगदान है। हमें सभी विषयों को योग से जोड़ना है। सभी योग को अपना रहे है। संचालन रजनीश जोशी और रेनू ने संयुक्त रुप से किया। उद्घाटन सत्र के उपरांत समानांतर रुप से दो-दो सत्र संचालित हुए, जिसके ऑनलाइन प्रथम सत्र में अध्यक्ष प्रो. इला साह तथा दूसरे सत्र में डॉ. लक्ष्मी नारायण अध्यक्ष रहे। ऑफलाइन सत्रों में पहले सत्र में अध्यक्षता प्रो. रिजवाना सिद्धिकी, रिसोर्स पर्सन प्रो. कंचन जोशी, सह अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र धामी रहे तथा दूसरे ऑफलाइन सत्र में प्रो. देवसिंह पोखरिया, रिसोर्स पर्सन डॉ. विनोद नौटियाल रहे। तृतीय सत्र में प्राणि हीलिंग की विशेषज्ञ डॉ. शैली ने संबोधन दिया। इस सत्र में अध्यक्ष प्रो. मधुलता नयाल, सह अध्यक्षता डॉ. तेजपाल सिंह ने की। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, विद्यार्थी, शिक्षक, योग विभाग के सभी विद्यार्थी एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।
रिपोर्टर- एस. आर. चन्द्रा भिकियासैंण