ग्रामीण अंगीकरण कार्यक्रम के तहत निफ्टेम की टीम ने आधुनिक कृषि तकनीकों और गाँव के विकास पर दिया प्रशिक्षण।
भिकियासैंण (अल्मोड़ा)। सल्ट की उप-तहसील मछोड़ के थात तराड़ गाँव में निफ्टेम द्वारा संचालित ग्रामीण अंगीकरण कार्यक्रम के छठे दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम में निफ्टेम के सहायक प्राध्यापक डॉ. विकास सुरलिया, निफ्टेम के छात्र-छात्राएं, उपजिलाधिकारी सल्ट रिकू बिष्ट, सचिव मनोज रावत, ग्राम प्रधान तथा कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों ने कई जानकारियां दी।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. विकास सुरलिया ने ग्रामीणों को खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और कृषि से जुड़े उद्यमिता अवसरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पिछले पाँच दिनों में हुई गतिविधियों — किसान संवाद, जागरुकता सत्र, प्रसंस्करण तकनीकों का प्रदर्शन और संभावित उद्यमों की पहचान का भी विवरण दिया। उन्होंने ग्रामीणों को प्रेरित करते हुए कहा कि संसाधनों का सही उपयोग कर वे अपने ही गाँव में रहकर विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
चर्चा के दौरान ग्राम प्रधान ने निफ्टेम और सरकार के बीच सहयोग को लेकर प्रश्न रखा, जिस पर टीम ने बताया कि संस्थान विभिन्न सरकारी विभागों से समन्वय स्थापित कर तकनीक और योजनाएं गाँव स्तर तक पहुंचाता है।
इसी दौरान उपमंडल अधिकारी ने कहा कि थात तराड़ गाँव को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां के लोग लंबे समय से विकास के प्रति जागरुक हैं। उन्होंने बढ़ते पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं से कृषि नवाचार, प्रसंस्करण और उद्यमिता अपनाने का आग्रह किया।
ग्रामीणों द्वारा पशु-समस्या उठाए जाने पर उपमंडल अधिकारी ने बताया कि यह क्षेत्र वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है, और पहले जनसंख्या अधिक होने के कारण समस्या कम दिखाई देती थी। इस बीच निफ्टेम के छात्रों ने छोटे स्थान में ऑर्गेनिक फार्मिंग की तकनीक समझाई, जिससे कम भूमि में भी बेहतर खेती संभव हो सके।
सत्र में एसडीएम रिकू बिष्ट ने गाँव के प्रेरक किसान मेहबान सिंह का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने उद्यान विभाग की सहायता से मशरुम उत्पादन और प्रसंस्करण शुरु कर गाँव में ही रहकर अच्छी आय अर्जित की है।
इसके बाद निफ्टेम टीम ने गुड़हल और इसबगोल की खेती, प्रसंस्करण, मार्केटिंग और वैल्यू-चेन पर जानकारी दी। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड योजना की प्रक्रिया भी समझाई गई। एसडीएम द्वारा पूछे गए गुलाब प्रसंस्करण से जुड़े प्रश्न का छात्रों ने विस्तृत उत्तर दिया।
ग्रामीण युवाओं को डिजिटल साक्षरता के महत्व से भी अवगत कराया गया। छात्रों ने ‘स्मार्टफोन किसान’ की अवधारणा समझाते हुए बताया कि मोबाइल ऐप, सेंसर और ऑनलाइन बाजारों का उपयोग खेती को आधुनिक और लाभकारी बना सकता है।
सत्र में एग्रो-टूरिज्म पर भी चर्चा हुई। छात्रों ने बताया कि गाँव की प्राकृतिक सुंदरता, पारंपरिक कृषि और स्थानीय संसाधनों के आधार पर एक मजबूत एग्रो-टूरिज्म मॉडल तैयार किया जा सकता है, जिससे आय और रोजगार दोनों बढ़ेंगे।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण निफ्टेम छात्रों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक रहा, जिसमें ग्रामीण समस्याएं, पलायन, खाद्य प्रसंस्करण और सरकारी योजनाओं को सरल रुप में दर्शाया गया। ग्रामीणों ने इसे खूब सराहा।
समापन पर डॉ. विकास सुरलिया ने एसडीएम महोदया को मोमेंटो भेंट किया। साथ ही निफ्टेम द्वारा तैयार किए गए मिलेट-आधारित बेक्ड उत्पाद प्रदर्शित किए गए, जिनका उद्देश्य ग्रामीणों को मोटे अनाज आधारित प्रसंस्करण और पोषण मूल्य के प्रति जागरुक करना था।
ग्रामीणों ने निफ्टेम टीम का धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम गाँव के विकास और युवाओं की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।



