मनरेगा समाप्त कर श्रमिक अधिकार सीमित करने की नीति के खिलाफ वाम दलों का प्रतिवाद, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन।
भिकियासैंण (अल्मोड़ा)। केंद्र सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियों के विरोध में वाम दलों के राष्ट्रीय प्रतिवाद कार्यक्रम के तहत मनरेगा को समाप्त कर वी.बी. ग्राम जी विधेयक लाए जाने के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। वाम दलों का आरोप है कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार ने मनमानी और एकाधिकारवादी रवैया अपनाया है।
वक्ताओं के अनुसार वी.बी. ग्राम जी विधेयक में कृषि कार्य के समय 60 दिनों तक काम बंद करने का प्रावधान किया गया है, जिससे मजदूरों को कृषि कार्यों के दौरान उद्योगों में अधिक मजदूरी देने की बाध्यता समाप्त हो जाती है। जबकि देशभर के नागरिक संगठन, किसान और खेत मजदूर संगठन लंबे समय से मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ने की मांग कर रहे थे।

आरोप लगाया गया कि मनरेगा का नाम और स्वरुप बदलकर लाया गया यह विधेयक काम के अधिकार, देश के संघीय ढांचे पर हमला करता है और सामाजिक विभाजन की मानसिकता को उजागर करता है। इसी के विरोध में उपजिलाधिकारी भिकियासैंण के माध्यम से उपजिलाधिकारी के पेशकार भूपेंद्र सिंह अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर राष्ट्रपति से इस विधेयक को रद्द करने की मांग की गई।
ज्ञापन सौंपने वालों में भाकपा माले के जिला सचिव आनंद सिंह नेगी, प्रकाश चंद्र, एडवोकेट सिंह बिष्ट, एडवोकेट भोले शंकर, एडवोकेट धीरज कुमार सहित अन्य लोग शामिल रहे।



