विकासखंड भिकियासैंण के निरकोट के अनुसूचित जाति परिवार विकास कार्यों से हुए वंचित, किसी ने नहीं ली सुध।
भिकियासैंण (अल्मोड़ा) विकासखंड भिकियासैंण के ग्राम निरकोट के अनुसूचित जाति के परिवार आज भी कई विकास योजनाओं से वंचित होते जा रहे है। ग्राम पंचायत अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक भी पत्र के माध्यम से अवगत कराया है, लेकिन अभी तक धरातल में विकास योजनाएं शून्य शाबित हो रही है। विकासखंड भिकियासैंण के तल्ला दोरा शिल्पकार सहयोग समिति के अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मदन कोहली ने विकासखंड पर गंभीर आरोप लगाया हैं कि ग्राम पंचायत निरकोट में विकास खंड द्वारा सन् 2008 से लगातार अनुसूचित जाति के परिवारों की उपेक्षा कर रहा है। उन्होंने बताया कि 2008 से 2023 तक लगभग 25 लाख रुपये ग्राम सभा में खर्च किए जा चुके है, तथा 10 लाख रुपये जलाग़म परियोजना द्वारा खर्च किये जा चुके है, लेकिन अनुसूचित जाति बस्ती में एक रुपया का काम भी ग्राम सभा द्वारा खर्च नहीं किया, उन्होंने कहा कि जानकारी माँगने पर मालूम हुआ कि विधायक निधि के अलावा कोई कार्य अनुसूचित जाति बस्ती में नहीं हुआ है।
उनका कहना है कि अनुसूचित जाति बस्ती के विकास की जिम्मेदारी केवल विधायक और सांसद की है क्या? जानकारी में ये भी लिखित दिया गया है कि राज्य वित्त एवं केंद्र वित्त को अनुसूचित जाति बस्ती में खर्च करने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि ग्राम पंचायत की निधि में अनुसूचित जाति के परिवारों का कोई अधिकार नहीं है तो इस ग्राम सभा को अनुसूचित जाति युक्त ग्राम सभा क्यों बनाई गई है। हद तो तब हो गई जब इस प्रकरण पर जिलाधिकारी द्वारा भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। माननीय अध्यक्ष अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के द्वारा 2020 में जांच कराने हेतु एक दल एडीओ पंचायत और ग्राम पंचायत अधिकारी तथा ग्राम विकास अधिकारी गाँव में आएं, आज के बाद जो कार्य उनके द्वारा कराये जाने का आश्वासन दिया उसमें भी आज तक एक ईट नहीं लगी, जबकि तब से ग्राम सभा में लाखों रुपये खर्च किये जा चुके है। हमें आज तक समझ नहीं आया कि हमारा इस गांव में अस्तित्व क्या हैं।
इससे पूर्व में ग्राम प्रधान द्वारा तीन वर्ष पूर्व अनुसूचित जाति बस्ती के रास्ते और पौराणिक नौले के सुधारीकरण के बारे में बताया कि 75 हजार रुपये रास्ते निर्माण और 1 लाख नौला हेतु रखा गया हैं। अफ़सोस आज तक वह धनराशि कहाँ गयी या किसने मिलकर हड़प की पता नहीं चला। इस लापरवाही और मानसिक उत्पीड़न में विकासखंड भिकियासैंण पूर्ण रुप से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा इस गाँव की एक विशेषता यह भी है कि तीन बार सरपंच के चुनाव रद्द होने के बावजूद भी पूर्व सरपंच जो विगत 15 वर्षो से दिल्ली में रह रही है, जिसके कभी गाँव आने की उम्मीद भी नहीं है, उसी टीम को दुबारा सरपंच बना दिया। यह कैसे सम्भव हुआ यह भी एक रहस्य बना हुआ है। अध्यक्ष द्वारा यह भी आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के सदस्य को सरपंच नहीं बनाने की जिद्द के चलते चुनाव रद्द कराये गये। यह एक जांच का विषय है कि इसमें किसकी साजिश है।