राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत में इन्द्रमणि बडोनी की जयंती पर वृहद कार्यक्रम हुए आयोजित।
शीतलाखेत (अल्मोड़ा)। राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत में उत्तराखंड राज्य गठन में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड राज्य की महान विभूति स्वर्गीय इन्द्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम संचालक डॉ. प्रकाश चंद्र जांगी ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “उत्तराखंड के गांधी” के रुप में प्रख्यात बडोनी आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक प्रख्यात सांस्कृतिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् एवं प्रखर वक्ता थे। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को उनके बताए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने प्रत्येक जनमानस को जोड़ने का कार्य किया।
उत्तराखंड राज्य सदैव से महापुरुषों, वीरों और समाज सुधारकों की जननी रहा है। इस देवभूमि ने न केवल भारत की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक चेतना को दिशा दी, बल्कि लोक संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए भी निरंतर संघर्ष किया। ऐसे ही संघर्षशील महापुरुषों में इन्द्रमणि बडोनी का नाम उत्तराखंड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। उन्हें प्रेमपूर्वक “उत्तराखंड का गांधी” कहा जाता है। वे उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पुरोधा, लोक संस्कृति के संवाहक और जन आंदोलनों के नैतिक नेतृत्वकर्ता रहे।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ललन प्रसाद वर्मा ने कहा कि बड़ोनी भले ही औपचारिक रुप से शिक्षक न रहे हों, लेकिन वे शिक्षक से कम भी नहीं थे। भारत सरकार द्वारा उन्हें “भारतीय शिक्षा” की उपाधि से विभूषित किया गया था। उन्हें पर्वतों से विशेष लगाव था। वे कुशल कलाकार और रंगमंच प्रेमी भी थे। स्थानीय स्तर पर उन्होंने सांस्कृतिक दलों का गठन कर स्वच्छता अभियान चलाए तथा माधव सिंह भंडारी कृत नाटिका का मंचन किया। गाँव-गाँव में रामलीला मंचन के माध्यम से उन्होंने लोक संस्कृति को सशक्त किया। दिल्ली में उनके द्वारा प्रस्तुत पांडव नृत्य को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु भी अत्यंत भाव-विभोर हो उठे थे।
इस अवसर पर प्रो. ललन प्रसाद वर्मा, प्रो. अनुपमा तिवारी, डॉ. प्रकाश चंद्र जांगी, डॉ. वसुंधरा लस्पाल, डॉ. राजेंद्र चंद्र पांडे, प्रवीण सिंह बोरा, अनुज कुमार, हेमंत सिंह मनराल, कमल सिंह बनकोटी, विनोद रतन सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।



