बेस अस्पताल अल्मोड़ा की लचीली और चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं ने एक व्यक्ति की और ली जान।

अल्मोड़ा। लचीली स्वास्थ्य सेवाओं के चलते 33 वर्षीय बिट्टू ने मेडिकल कॉलेज बेस चिकित्सालय अल्मोड़ा में दम तोड़ दिया। स्वास्थ्य के चलते हादसा कुछ यूं रहा, कि बिट्टू कुमार जिसकी उम्र लगभग 33 वर्ष थी, स्वास्थ्य खराब होने पर उसे विगत दिवस बुधवार को अपराह्न में मेडिकल कॉलेज बेस अस्पताल इमरजेंसी में दिखाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जाँच नहीं की, और भर्ती करने से भी मना कर दिया। काफ़ी मिन्नतों के बाद भी डॉक्टर साहब का दिल नहीं पसीजा और भर्ती करने से साफ़ मना कर दिया। जब दूरभाष द्वारा परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय महासचिव एडवोकेट नारायण राम ने चिकित्सकों से संपर्क करना चाहा, तो डॉक्टर ने फोन नहीं उठाया, और तीमारदार के फोन पर बात करने से भी मना कर दिया।

चिकित्सकों द्वारा मना करने पर मरीज़ के साथ जो तीमारदार बद्रीश कुमार और गंगा थापा गए थे, उनसे उपपा के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि डॉक्टर्स से उन्हें तुरंत उपचार देने के लिए कहें, क्योंकि मरीज़ की हालत काफी बिगड़ती जा रही थी, वे चल नहीं पा रहे थे, और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। काफी देर तक हाथ पांव जोड़ कर विनती करने के बाद डॉक्टर्स ने मरीज़ के साथ गए तीमारदारों से कहा कि हमने इसको देख लिया है, इसका एक्स-रे भी कर दिया है और यह बिल्कुल स्वस्थ है, इसे घर ले जाइए।

तत्पश्चात् डॉक्टर्स के आश्वासन पर मरीज़ बिट्टू कुमार को सायंकाल के समय उसके अस्थाई निवास स्थान में ले जाया गया। किंतु स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही के कारण आज गुरुवार को प्रातः ही बिट्टू कुमार की आकस्मिक मृत्यु हो गई। बिट्टू कुमार के परिजनों का कहना है कि उसकी इस असामयिक मौत के ज़िम्मेदार बेस अस्पताल और उपचार करने वाले चिकित्सक हैं, जिनकी जाँच कर दोषी पाए जाने वाले डॉक्टर्स के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जाए, और मृतक के परिवार वालों को चिकित्सकों से मुआवजा दिलाया जाए, ताकि भविष्य में डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से किसी भी अन्य मरीज की जान न जाएं।

रिपोर्टर- रिया सोलीवाल

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