राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय बासोट में सृजनात्मक कार्यशाला का हुआ आयोजन।

बच्चों ने मिट्टी के दीये और अल्पना से बढ़ाया परंपरा का गौरव।

भिकियासैंण (अल्मोड़ा)। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (CCRT) और भारत ज्ञान विज्ञान समिति, अल्मोड़ा के तत्वावधान में राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय, बासोट में एक दिवसीय सृजनात्मक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में कुल 25 बच्चों ने प्रतिभाग किया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सृजनात्मकता को मंच प्रदान करना और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देना था। बच्चों ने मिट्टी कार्य के तहत पारंपरिक दीयों को अल्पना के साथ तैयार किया। इस पहल का उद्देश्य दीपावली पर्व के अवसर पर मिट्टी के दीयों के प्रयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय कुम्हारों की आजीविका को सशक्त करना था।

कार्यशाला में बच्चों ने सुगंधित फूलों की मालाएँ और बुके भी तैयार किए, जिन्हें मंदिरों और घरों के द्वारों पर लगाने का संदेश दिया गया। साथ ही बच्चों ने रंगोली और ऐंपण कला के माध्यम से पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने का प्रयास किया।

एक समूह ने सुंदर हस्तलेखन को प्रोत्साहित करने के लिए भीमल की कलम और स्याही से सुलेखन का अभ्यास किया व दूसरे समूह ने स्वच्छ भारत और नशामुक्त भारत विषय पर निबंध, स्लोगन और चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया।

भाषण प्रतियोगिता में सोम्या, दीपांशी, करण, गीता कुमारी और कामना ने अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत की और सृजनात्मक कार्यशाला की सार्थकता पर विचार रखे।

विद्यालय के बच्चों द्वारा मंचस्थ मुख्य अतिथि हरीश जोशी, नन्दकिशोर उप्रेती, सुरेश कुमार, रामदत्त उप्रेती और तेजपाल सिंह नेगी का बैज, माल्यार्पण व पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। इसके उपरांत मंचस्थ अतिथियों द्वारा ज्ञान की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

कार्यशाला में किए गए सृजनात्मक कार्यों की संक्षिप्त आख्या सोम्या व कामना ने अतिथियों के समक्ष प्रस्तुत की। इसके उपरांत कार्यशाला संयोजक कृपाल सिंह शीला ने सभी मंचस्थ अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर अपने विचार रखे।

इसके बाद मंचस्थ अतिथियों द्वारा बच्चों के बनाए गए मिट्टी के दीये, वास्तविक फूलों की मालाएँ, चित्रकला, सुलेखन, तथा स्वच्छ भारत और नशामुक्त भारत पर लिखे गए निबंधों का अनुश्रवण किया गया।

मंचस्थ अतिथियों में तेजपाल सिंह नेगी व रामदत्त उप्रेती ने बच्चों की सृजनात्मक अभिव्यक्ति की सराहना की। मुख्य अतिथि हरीश चन्द्र जोशी (रा.इ.का. बसेड़ी, सल्ट) ने बच्चों की सृजनात्मकता की सराहना करते हुए कार्यशाला संयोजक के प्रयासों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज दीपावली पर्व पर पारंपरिक मिट्टी के दीयों का प्रयोग लगभग समाप्त हो गया है, जबकि ये दीये पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्य अतिथि जोशी द्वारा सभी प्रतिभागियों को अपनी ओर से पुरस्कृत किया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यालय के संरक्षक नन्दकिशोर उप्रेती ने कहा कि इस प्रकार की सृजनात्मक कार्यशालाएँ बच्चों के सर्वांगीण विकास में अत्यंत उपयोगी होती हैं।

कार्यशाला में भगीरत प्रकाश, आरुष, दीपिका, आदि कुमार, मोहित, मयंक बेलवाल, पल्लवी, हिमानी, गौरव, अभिनव, पीयूष, दृष्टि आदि की सक्रिय प्रतिभागिता रही।

कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला संयोजक, सीसीआरटी अनुस्थापन पाठ्यक्रम प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक कृपाल सिंह शीला ने सभी मंचस्थ अतिथियों, विद्यालय के प्रधानाध्यापक, सहयोगियों तथा प्रतिभागी बच्चों का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।

रिपोर्टर- रिया सोलीवाल

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